भोपाल। गरीब, निराश्रित और परित्याक्ता की शादी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत कराने सर्टिफिकेट का इंतजार नहीं करना होगा। सक्षम प्राधिकारी यदि आय प्रमाणपत्र नहीं दे रहा है तो दोनों पक्ष की ओर से स्वप्रमाणित शपथपत्र देकर सामूहिक विवाह समारोह में शामिल हो सकते हैं।
सामाजिक न्याय विभाग की ओर से दी गई राहत में समग्र कोर्ड, आधार और बीपीएल कार्ड नंबर की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गई है। ऐसे आवदेकों का समग्र में पंजीयन मौके पर ही कराया जाएगा और यदि व्यक्ति पात्र होगा तो उसके योजनाओं संबंधी फार्म भी भरवाए जाएंगे। हालांकि, गड़बड़ी पाए जाने पर दोषी आवेदकों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
मंत्री को मिली थी शिकायत
सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव को शिकायत मिली थी कि मुख्यमंत्री कन्यादान या निकाह योजना में शामिल होने आवेदिका के परिवार की वार्षिक आय का समक्ष अधिकारी की ओर से प्रमाणपत्र मिलने में दिक्कत आती है, जिसके चलते कई परिवार इससे वंचित हो रहे हैं। इस पर भार्गव ने विभाग को नियमों को सरल करने के निर्देश दिए थे।
अब तक 3 लाख विवाह
2006-07 से लागू कन्यादान योजना में अब तक 3 लाख 7 हजार 114 विवाह हो चुके हैं। इस पर सरकार ने 391 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, वहीं 2012 से लागू निकाह योजना में 4 हजार 338 शादियां हुई हैं। इस पर 32 लाख 10 हजार रुपए खर्च किए गए हैं।
एक विवाह पर 25 हजार
एक कन्यादान या निकाह पर सरकार 25 हजार रुपए खर्च करती है। 10 हजार रुपए कन्या के नाम पांच साल के लिए एफडी, सात हजार रुपए विवाह के एक दिन बाद बैंक अकाउंट और पांच हजार रुपए सामग्री में व्यय किए जाते हैं। जबकि, तीन हजार रुपए प्रति विवाह आयोजक को मंडप, टेंट, भोजन सहित अन्य इंतजाम के लिए दिए जाते हैं।
सरलीकरण जरूरी था
विभाग की अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा का कहना है कि कई दस्तावेज बनवाने में ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता था। अब स्व-प्रमाणित दस्तावेज देने पर भी लोग योजना में शामिल होने के पात्र होंगे।