उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। मप्र शासन ने एक अजीब सा फरमान जारी किया है। कहा है कि दुकानदारों एवं सेवा प्रदाताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिस शादी में वो सेवाएं दे रहे हैं वहां नाबालिग ब्याह तो नहीं हा रहा। यदि ऐसा हुआ तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बड़ा अजीब सा आदेश है। अब किराना वाला, शादीकार्ड छापने वाला, हलवाई, टेंट वाला और बैंड वाला किसी भी शादी की बुकिंग से पहले पूछेगा कि भाईसाहब आपकी बेटी बालिग तो है ना, है तो सर्टिफिकेट लाओ। सर्टिफिकेट मिल भी गया तो पता करना होगा कहीं यह जाली तो नहीं है। पता करने के लिए आरटीआई लगानी होगी। आरटीआई में जवाब 30 दिन बाद मिलता है। तो क्या बुकिंग 30 दिन बाद कंफर्म होगी ?
मेरे मध्यप्रदेश में तो शादियां ही 15 दिन पहले तय होतीं हैं, तो क्या उन्हे कोई सेवाएं नहीं देगा। यदि दे दीं तो जेल जाना पड़ेगा। सरकारी आदेश है तो सरकारी तर्क के आधार पर ही सुनिश्चित किया जाना पड़ेगा ना कि जिसकी शादी हो रही है वो बालिग है या नहीं।
सरकार ने अपनी जिम्मेदारी दुकानदारों पर ढोल दी है। सवाल यह है कि यदि ये सारी जांच पड़ताल दुकानदारों ने ही करनी है तो फिर सरकार क्या करेगी, सिर्फ भ्रष्टाचार ?
सरकार के पास इतना बड़ा अमला है। 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। लगा दीजिए काम पर। यदि कम पड़ते हैं तो भाजपा के 1 करोड़ कार्यकर्ता किस दिन काम आएंगे। उनसे कहिए जांच करें। पता करें। बिना रिश्वत लिए तय करें और फिर बनाओ कानून कि यदि किसी भाजपा कार्यकर्ता ने गलत जांच की तो उसे जेल में डाल दिया जाएगा।
अजीब है ये सरकार, सारी जिम्मेदारियां उन पर थोप रही है जो जिम्मेदारी के योग्य नहीं है। समझ नहीं आता तीसरी पारी में शिवराज करना क्या चाहते हैं ?