दिग्विजय सिंह ने दिखाया सुप्रीमकोर्ट का फैसला, शिवराज के खिलाफ FIR की मांग

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने एसआईटी चेयरमैन जस्टिस चंद्रेश भूषण को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ संविदा शिक्षा वर्ग 2 और 3 मामले में एफआईआर करने की मांग की है।

सिंह ने कहा कि उनके 23 मार्च को ट्रूथ लैब की रिपोर्ट सहित अन्य दस्तावेज दिए जाने के बावजूद एसआईटी और एसटीएफ ने कोई कदम नहीं उठाया है। पत्र में उन्होंने ने सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी विरुद्ध उत्तरप्रदेश के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 154 के तहत संज्ञेय अपराध होने पर एफआईआर करना जरूरी है।

शनिवार को भेजे पत्र में सिंह ने कहा कि इंदौर पुलिस के अफसरों ने हार्डडिस्क से छेड़खानी करके मुख्यमंत्री के नाम की एंट्री को बदलकर राजभवन, उमाभारती और मिनिस्टर किया गया। नितिन महेन्द्रा से 18 जुलाई 2013 को साढ़े चार बजे हार्डडिस्क जब्त की थी। ट्रुथ लैब, बेंगलुरु की रिपोर्ट के मुताबिक एक्शलशीट में 131 एंट्रीज में से 48 जगह सीएम लिखा था।

आठ बजे इसमें छेड़खानी कर दूसरे के नामों पर एंट्रीज डाली गईं। 22 जुलाई 2013 को हार्डडिस्क गुजरात की लैब को भेजी गई। लैब की रिपोर्ट से छेड़खानी प्रमाणित होने, रिपोर्ट एसआईटी को देने के बाद भी अब तक मुख्यमंत्री, इंदौर पुलिस के अफसर सहित अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है।

सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले का हवाला देते हुए मांग की है कि एफआईआर में नाम शामिल कर जांच की जाए। सिंह ने पत्र की प्रति एसटीएफ चीफ को भी दी गई है। वहीं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने एसटीएफ द्वारा पीएमटी सहित अन्य मामलों में विज्ञापन जारी कर दस्तावेज या कथन के आने का कहने को जांच प्रक्रिया के साथ मजाक करार दिया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि जब सीडीआर, कॉल डिटेल सहित अन्य दस्तावेज कांग्रेस की ओर से मुहैया कराए जा चुके हैं, फिर कार्रवाई न करके इस तरह से साक्ष्य मांगने का औचित्य क्या है। मिश्रा ने सवाल उठाया कि विज्ञापन में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के टोल फ्री नंबर क्यों दिया गया है।

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