नईदिल्ली। नौकरशाहों को जवावदेह बनाने के लिए केंद्र सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के लिए कैडर आवंटन के नियमों में ढील देने का फैसला किया है। तैनाती से पहले अधिकारियों को कैडर आवंटित होते हैं जिसमें अब अफसरों को उनकी पसंद के मुताबिक कैडर दिए जाएंगे।
कार्मिक मंत्रालय ने सिविल सेवा परीक्षा के नियम-2 में बदलाव किया है। इसके तहत मुख्य परीक्षा का फार्म भरते समय ही उम्मीदवारों को कैडर की पसंद भी बतानी होगी। अभी कैडर का आवंटन सरकार की तरफ से किया जाता है जिसमें मैरिट ही मुख्य आधार होती है। नतीजा यह होता है कि केरल के छात्र को पंजाब कैडर मिल जाता है तथा कश्मीर में रहकर काम करने के इच्छुक अफसर को बिहार या उड़ीसा जाना पड़ता है। सिर्फ टॉप मेरिट वालों को ही होम कैडर मिल पाता है।
नए नियमों के लागू होने से छात्र अपनी पसंद के कैडर भरेंगे और उसी के अनुसार उन्हें कैडर देने की कोशिश की जाएगी। हालांकि काफी कुछ इसमें मांगे गए कैडर में उपलब्ध रिक्तियों पर भी निर्भर करेगा लेकिन यथासंभव इच्छा के अनुसार कैडर मिलेंगे। जो युवक अपने राज्य में सेवा देने के इच्छुक हैं, उन्हें अब आसानी से होम कैडर मिल सकेगा।
दूसरे राज्य का कैडर मिलने पर अक्सर अफसरों को स्थानीय भाषा की दिक्कत होती है। यदि तमिलनाडु के किसी अफसर को पंजाब कैडर मिलता है तो उसे पंजाबी सीखनी पड़ेगी। यह अनिवार्य है। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी भाषा में वे इतना पारंगत नहीं हो पाते हैं कि लोगों से सीधा संवाद कायम कर सकें। दूसरे, अपने राज्य में कार्य कर रहे उम्मीदवारों से उम्मीद की जा सकती वे वहां के शासन-प्रशासन की दिक्कतों को आसानी से समझ सकें।
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