मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार बैंकों एवं औद्योगिक घरानों को अपने कर्मचारियों को सब्सिडीयुक्त गैस सिलेंडर छोड़ने के लिए प्रेरित करने को कहा। मोदी ने कहा कि यदि एक करोड़ लोग सब्सिडी छोड़ते हैं तो इतनी ही संख्या में गरीब परिवारों को इस स्वच्छ ऊर्जा का फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने हाल ही में सक्षम एवं सुविधासंपन्न लोगों को सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर छोड़ने के लिए गिव इट अप (इसे छोड़ें) अभियान शुरू किया।
रिजर्व बैंक की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अब तक करीब दो लाख उपभोक्ता इस पहल में शामिल हो चुके हैं। देश में करीब 15.3 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता हैं। मोदी ने कहा, मेरा मानना है कि हमारे बैंकों को अपने सभी कर्मचारियों को विश्वास में लेना चाहिए। प्रत्येक बैंक को संकल्प लेना चाहिए कि उनके कर्मचारी सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर लेना छोड़ें। सभी औद्योगिक घरानों को भी यह तय करना चाहिए कि उनके कर्मचारी यह सब्सिडी छोड़ें।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी छोड़ने के लिये अभियान चलाने के पीछे सरकार का मकसद सब्सिडी बिल में बचत कर खजाना भरना नहीं है, बल्कि सरकार ऐसा कर उन गरीबों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराना चाहती है जो खाना पकाने के लिये लकड़ी जलाते हैं। उन्होंने कहा, स्वेच्छा से इसे छोड़ें। यदि एक करोड़ लोग रसोई गैस सिलेंडर की सब्सिडी छोड़ते हैं, तो खाना पकाने के लिये लकड़ी का इस्तेमाल करने वाले एक करोड़ गरीब परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। लकड़ी जलाने से वनों का नुकसान होता है, कार्बन उत्सर्जन होता है और बच्चों धुएं में रहने को मजबूर होते हैं।
मोदी ने यह भी कहा है कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना से रसोई गैस सब्सिडी वितरण में पारदर्शिता आई है और सब्सिडी का दुरुपयोग कम हुआ है। योजना के तहत सब्सिडी राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में डाल दी जाती है हालांकि, सिलेंडर खरीदते समय उन्हें बाजार मूल्य पर भुगतान करना होता है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से सरकार को अब तक 8,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। घरेलू रसोई गैस उपभोक्ताओं को एक साल में 14.2 किलो के सब्सिडीयुक्त 12 गैस सिलेंडर दिये जाते हैं।
पेट्रोलियम कंपनियों ने मौजूदा एलपीजी ग्राहकों को सब्सिडी छोड़ने का विकल्प दिया है। वह अपने मौजूदा कनेक्शन को बिना सब्सिडी वाले घरेलू कनेक्शन में बदल सकते हैं। इसके लिये वह अपने वितरक को लिखित में आवेदन दे सकते हैं या डब्लयूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट माईएलपीजी डॉट इन पर दर्ज करा सकते हैं। वर्ष 2015-16 के बजट में पेट्रोलियम पदार्थों पर सब्सिडी पिछले वित्त वर्ष के अनुमानित 60,270 करोड़ रुपये के मुकाबले 30,000 करोड़ रुपये रखी गई है। इस राशि में से 22,000 करोड़ रुपये एलपीजी सब्सिडी, जबकि शेष केरोसिन के लिये रखी गई है।