जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में शुक्रवार को अवकाश के बावजूद अर्जेंट केस की हियरिंग के लिए विशेष बेंच बैठी। न्यायमूर्ति राजेन्द्र मेनन व जस्टिस आलोक आराधे की इस डिवीजन बेंच ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश सुनाया। इसके जरिए अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा को निर्देश दिया गया कि एमएसडब्ल्यू कोर्स में दाखिला लेने वाले विभिन्न कॉलेजों के छात्रों से एक-एक हजार रुपए जमा कराकर परीक्षा में शामिल किया जाए। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि यदि दाखिला लेने छात्रों का साल खराब हुआ तो दोषी कॉलेजों को प्रत्येक छात्र के हक में एक-एक लाख रुपए हर्जाना चुकाना पड़ेगा।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता रीवा, सीधी, अनूपपुर की अमहा सामाजिक शिक्षण समिति, द्वारका प्रसाद और रामगोपाल सहित अन्य का पक्ष अधिवक्ता अशोक शुक्ला ने रखा। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता केएस वाधवा और एपीएस यूनिवर्सिटी रीवा की ओर से अधिवक्ता वेदप्रकाश तिवारी ने पक्ष रखा।
याचिकाकर्ता की ओर से अवगत कराया गया कि एपीएस यूनिवर्सिटी रीवा से सम्बद्घता प्राप्त करने वाले कॉलेजों ने एमएसडब्ल्यू कोर्स में मनमाने तरीके से 400-500 एडमिशन दे दिए। फीस उगाही के चक्कर में यह गलती की गई। इधर उच्च शिक्षा विभाग और एपीएस यूनिवर्सिटी रीवा ने साफ कर दिया कि वह अपने संसाधनों के तहत एमएसडब्ल्यू कोर्स के महज 100 छात्रों की ही परीक्षा आयोजित करने में समर्थ हैं। इस वजह से जिन छात्रों से एमएसडब्ल्यू कोर्स में प्रवेश लेकर साल भर पढ़ाई की, उनका एक साल खराब होने की स्थिति पैदा हो गई है। हाईकोर्ट ने परीक्षा की तारीख निकट होने सहित अन्य बिन्दुओं पर गौर करने के बाद अंतरिम आदेश सुना दिया। साथ ही राज्य शासन, उच्च शिक्षा विभाग व एपीएस यूनिवर्सिटी रीवा को नोटिस जारी कर दिए। अगली सुनवाई 28 अप्रैल को निर्धारित की गई है।