OlaCabs से अवैध वसूली के लिए RTO का बेतुका फरमान

भोपाल। GPS यानि Global Positioning System जिसपर पूरी दुनिया भरोसा कर रही है। भारत की सेनाओं की लोकेशन मिल रही है, भारत भर की पुलिस अपराधियों तक पहुंच पा रही है भोपाल के RTO उस GPS के अस्तित्व को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए नहीं कि वो कोई तकनीकी विशेषज्ञ हैं बल्कि इसलिए क्योंकि वो भोपाल की सड़कों पर धड़ाधड़ दौड़ रहीं OLA केब के संचालकों को प्रेशर में लेना चाहते हैं। शायद चौथ वसूली के लिए, जैसे कि खुले आरोप RTO पर अक्सर लगते रहते हैं।


खबर आ रही है कि दूरी दर्शाने वाले मीटर लगाए बिना ओला कैब या ऐसी ही अन्य टैक्सियों को शहर के अंदर चलने को परिवहन विभाग भी अवैध मान रहा है। नापतौल अमला पहले ही इस पर आपत्ति जता चुका है। परिवहन विभाग का कहना है कि ऑल इंडिया या एमपी परमिट है और यह नगर निगम सीमा में ही एक से दूसरी जगह चलाई जा रही हैं तो इनमें मीटर होना अनिवार्य है। ओला कैब समेत ऐसी ही अन्य टैक्सियों इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस के माध्यम से किराया वसूल रही हैं। नापतौल एवं परिवहन विभाग के अफसरों के मुताबिक इस डिवाइस को कानूनी मान्यता नहीं है। न ही नियम में ऐसा कोई प्रावधान है।

इधर ओला प्रबंधन ने तर्क दिया है कि उनकी टैक्सी ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट पर चलने वाला पर्यटक वाहन है। इसमें किसी प्रकार के मीटर की बाध्यता नहीं है। नियम में प्रावधान नहीं होने से इस दलील को मंजूर नहीं किया गया।

कुल मिलाकर GPS का प्रावधान नहीं है इसलिए GPS के अस्तित्व को नकारा जा रहा है लेकिन ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट के परमिट को मंजूर भी नहीं किया जा रहा है। निष्कर्ष सिर्फ इतना सा कि या तो RTO भोपाल में चल रहीं मीटरवाली मंहगी टेक्सी सेवाओं के ऐजेंट बनकर OlaCabs को रोकने चाहते हैं या फिर OlaCabs से भी उसी तरह की चौथ वसूली चाहते हैं जैसी डग्गामार जीपें और दूसरे यात्री वाहनों से वसूली जा रही है।

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