भोपाल। निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी सीट पर मैनेजमेंट कोटे से एडमिशन लेने वाले 258 छात्र जांच के दायरे में आ गए हैं। इस मामले की जांच स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने शुरू कर दी है। एसटीएफ ने संचालक चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) और निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों से सत्र 2011 और 2013 में सरकारी सीट पर दाखिला लेने वाले छात्रों का रिकाॅर्ड मांगा है।
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) के मुताबिक निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों ने वर्ष 2011 में 60 और 2013 में 198 छात्रों को सरकारी कोटे की सीट पर एडमिशन दिया है। ये एडमिशन आखिरी चरण की काउंसलिंग खत्म होने के बाद किए गए। इसके लिए एडमिशन कमेटी ने सरकारी कोटे की खाली बची सीटों की जानकारी डीएमई से छुपाई थी। इस कारण सरकार की काउंसलिंग कमेटी वेटिंग लिस्ट के छात्रों को खाली सीटें आवंटित नहीं कर सकी।
कॉलेज संचालक नहीं भेजते स्टेटस रिपोर्ट
निजी मेडिकल कॉलेज संचालक एमबीबीएस में सरकारी और मैनेजमेंट कोटे की सीट पर होने वाले एडमिशन और खाली रही सीटों की स्टेटस रिपोर्ट डीएमई को एडमिशन की आखिरी तारीख गुजरने के दो से तीन सप्ताह बाद मुहैया कराते हैं। इसके चलते सरकारी सीट पर मैनेजमेंट कोटे से दाखिला लेने वाले छात्र पर सरकार कार्रवाई नहीं कर पाती।
फीस कमेटी लगा चुकी है 13 करोड़ का जुर्माना
संयुक्त संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एनएम श्रीवास्तव के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2013 में निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों ने सरकारी कोटे की 198 सीटों पर मैनेजमेंट कोटे से भरा था। इस मामले में प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण विनियामक समिति ने भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज सहित 6 कॉलेज संचालकों पर 13 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।