नईदिल्ली। मुद्रास्फीति में गिरावट के रुख के उलट नरेंद्र मोदी सरकार के पहले साल में प्रमुख महानगरों में दालें 64 प्रतिशत तक महंगी हुई हैं। मुख्य रूप से घरेलू उत्पादन घटने से दालों के दाम चढ़े हैं। लगातार दूसरे वर्ष मानसून खराब रहने की भविष्यवाणी के बीच सरकार एमएमटीसी जैसी सरकारी व्यापार कंपनियों के जरिए दलहनों का आयात करने पर विचार कर रही है ताकि दलहनों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाया जा सके और बढ़ती खुदरा कीमतों पर अंकुश लगाया जा सके।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा रखे गए आंकड़ों के अनुसार मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले वर्ष में उड़द, तुअर, मसूर दाल, चना और मूंग के दामों में सबसे ज्यादा उछाल देखा गया है। मौजूदा समय में महानगरों में उड़द की बिक्री 105-123 रुपये प्रति किलो के हिसाब से हो रही है। पिछले साल तक इस दाल का दाम 64 से 80 रुपये प्रति किलो थी।
उड़द का दाम मौजूदा समय में कोलकाता में 64 प्रतिशत बढ़कर 105 रुपये किलो हो गया जो मई, 2014 में 64 रुपये किलो थी। मुंबई में यह 123 रुपये किलो, दिल्ली में 109 रुपये किलो और चेन्नई में 116 रुपये प्रति किलो है। इसी प्रकार से तुअर अथवा अरहर की कीमत 53 प्रतिशत बढ़कर 102-116 रुपये किलो के दायरे में चल रही हैं जो कि पिछले साल 68 -86 रुपये किलो थी। मंत्रालय के आंकड़े दर्शाते हैं कि मसूर दाल की कीमतें 40 प्रतिशत की तेजी के साथ 80 से 94 रुपये किलो के बीच हैं जो पिछले वर्ष 60 से 75 रुपये प्रति किलो के बीच थी। मूंग की भी कीमत 26 प्रतिशत बढ़कर अब 107 से 116 रुपये के दायरे में हैं जो पिछले साल की समीक्षाधीन अवधि में 92 से 105 रुपये प्रति किलो के बीच थी।