भोपाल। तबादलों लेकर जिलों में प्रभारी मंत्री और बीजेपी पदाधिकारियों के बीच असहमति उभरने लगी है। छतरपुर के जिलाध्यक्ष ने प्रभारी एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा को करीब डेढ़ दर्जन अफसरों की सूची सौंपी। इस पर पार्टी के ही कुछ नेताओं ने संगठन में शिकायत कर इसे प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप बता दिया।
छतरपुर बीजेपी जिलाध्यक्ष डॉ घासीराम पटेल ने प्रबंध समिति में चर्चा के बजाए सीधे प्रभारी मंत्री को तबादलों की सूची सौंप दी, वहीं प्रदेश बीजेपी दफ्तर में रोज ही बड़ी संख्या में जिलों के पदाधिकारी पसंद-नापसंद वाले अफसरों के तबादलों की सिफारिश लेकर आ रहे हैं। इससे प्रभारी मंत्री और जिला संगठन के नेताओं के समन्वय की पोल भी खुल रही है। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रभारी मंत्रियों को अपने जिलों के प्रवास बढ़ाने एवं पार्टी कार्यालय में बैठने की हिदायत दी थी।
पार्टी को भी मिल रहे आवेदन
प्रदेश बीजेपी कार्यालय मंत्री सत्येन्द्र भूषण सिंह से जब इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने कहा कि यह मामला उन तक नहीं आया। तबादलों के संदर्भ में उन्होंने बताया कि हर जिले में प्रबंध समिति गठित की गईं हैं जिनमें सांसद, विधायक एवं जिलाध्यक्षों को रखा गया है। ये सभी मिलकर अनुशंसा करते हैं। जो लोग सीधे पार्टी दफ्तर में तबादलों के आवेदन दे जाते हैं उनके आवेदन वह संबंधित जिले के प्रभारी अथवा विभागीय मंत्रियों के पास पहुंचाने की व्यवस्था कर देते हैं। उन्होंने बताया कि यह रुटीन प्रक्रिया है।
हां, मैंने पत्र सौंपा
छतरपुर जिलाध्यक्ष डॉ घासीराम पटेल ने बताया कि यह साधारण प्रक्रिया है, जिले के कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुरूप मैंने अधिकारियों को बदलने की अनुशंसा की है। अब अंतिम निर्णय सरकार को करना है।
हादसे के बाद भी नहीं पहुंचे!
पन्नाा में तीन सप्ताह पूर्व बस हादसे में 22 लोग जिंदा जल गए लेकिन प्रभारी मंत्री डॉ गौरीशंकर शेजवार ने दौरा तक नहीं किया। तीन दिन पहले प्रशासकीय बैठक के लिए उनका प्रवास कार्यक्रम बना। भोपाल, सागर, पन्नाा, रीवा एवं छतरपुर सहित कतिपय अन्य जिलों के बीजेपी नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रभारी मंत्रियों ने मुख्यमंत्री एवं संगठन प्रमुख के निर्देशों पर अब तक पालन शुरू नहीं किया।
इसलिए पार्टी पदाधिकारियों से तालमेल नहीं हो पा रहा। भोपाल के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव स्थानीय कार्यक्रमों और पार्टी कार्यालय में दिखाई नहीं देते। यहां तक कि वरिष्ठ नेताओं के स्वागत आदि की औपचारिकता में भी मौजूद नहीं रहते।