खंडवा। शानदार नए बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लगा हुआ है। कागजों पर मेडिकल ऑफिसर पदस्थ है लेकिन ग्रामीणों को आज तक इलाज नहीं मिला। खंडवा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के गोद लिए आरूद गांव में और भी कई बीमारियां पुरानी हो चुकी हैं। गांव के चुनिंदा चालू हैंडपंपों से जितना पानी निकलता नहीं है उससे अधिक गंदा पानी और कीचड़ उनके आसपास फैला हुआ है। 10 साल से ग्रामीणों ने स्ट्रीट लाइट चालू नहीं देखी है।
खंडवा जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर दूर पंधाना तहसील के इस गांव के हालात 6 महीने बाद भी नहीं बदले हैं। पहली बार 11 अप्रैल को यहां पहुंचे सांसद ने वादों की झड़ी लगा दी थी, लेकिन एक भी वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है।
गांव में एक पशु चिकित्सालय भी है, यहां भी सप्ताह में एक बार ही डॉक्टर से परामर्श मिल पाता है। अधिकांश घरों में शौचालय नहीं हैं। नालियां नहीं बनने से गांव में हर जगह गंदगी का नजारा दिखता है। हालांकि गांव गोद लिए जाने के बाद कांक्रीट रोड और नालियों के निर्माण के लिए सांसद निधि से 39 लाख रुपए दिए गए हैं। कुछ कार्य शुरू हो गए हैं, वहीं अधिकांश अभी कागजी प्रक्रिया में ही हैं।
सांसद को भेजे प्रस्ताव
गांव में अलग-अलग विभाग अपने-अपने प्रस्ताव बनाकर भेज रहे हैं। जनपद पंचायत की तरफ से लगभग 50 लाख रुपए के प्रस्ताव सांसद की तरफ प्रेषित किए गए हैं। यहां एक हाट बाजार का भी निर्माण कराया जा रहा है।-
एच.एस. मंडलोई, सीईओ, पंधाना
नहीं बदले हालात
सांसद की घोषणाओं के बाद भी प्रशासन की ओर से गांव को कोई तवज्जो नहीं मिली है। गांव को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जल्द कार्य होना चाहिए।
पन्नालाल मोरे, सरपंच, आरूद
आरूद- एक नजर में
आबादी- 5800, मतदाता 3840
मकान- 350 पक्के, 850 कच्चे
(अधिकांश घरों में शौचालय नहीं
स्कूल- हायर सेकंडरी तक
कृषि भूमि- 4500 एकड़
मुख्य फसलें- प्याज, अरबी, गेहूं, गन्नाा और सोयाबीन
सामाजिक परिदृश्य- कुनबी, तमौली और भील समाज के लोग अधिक
कभी पान के लिए मशहूर था आरूद
पान की खेती के लिए प्रदेशभर में आरुद की पहचान थी। लेकिन एक दशक से पान की खेती बंद है। मांग घटने के कारण मुनाफा कम हुआ तो खेती भी बंद हो गई। दूसरी नकदी फसलों ने उसकी जगह ले ली। यहां पैदा होने वाला सुहागपुरी बंगला, कपूरी पान सतना, जबलपुर, सागर सहित पूरे प्रदेश में मशहूर था।