भोपाल। वनविभाग में जिस लेवल पर नियमों को निचोड़ने का उपक्रम चल रहा है, ऐसा किसी दूसरे विभाग में देखने को नहीं मिलेगा। यहां मप्र शासन के कानूनों से इतर अफसरों के अपने अपने कानून हैं और वही लागू रहते हैं। बड़े बड़े घोटाले हो जाते हैं परंतु आम जनता में कभी सुर्खियां नहीं बन पाते।
इस विभाग में ट्रांसफर का कालाकारोबार भी वर्षों से जारी है। मध्यप्रदेश के सरकारी विभागो में अधिकतर कर्मचारी/बाबू 06 से 12 वर्षा तक लगातर गृह मुख्यलय स्तर पर पदस्थ रहकर एक ही कार्यालय में पदस्थ है, जबकि शासन के निदेशानुसार कर्मचारी/बाबू एक ही कार्यालय में कम से कम 03 वर्ष तक पदस्थ रहकर नौकरी कर सकता हैं और गृह मुख्यलय स्तर पर नौकरी करने का आदेश नहीं है परन्तु वर्तमान में मध्यप्रदेश के सरकारी विभागो में अधिकतर कर्मचारी/बाबू 06 से 12 वर्षा तक लगातर एक ही कार्यालय में पदस्थ रहकर एकतरफा राज चलाया जा रहा है। जिससे आम जनता पर बहुत ज्यदा प्रभाव पडता है, जैसे की वन विभाग में वन रक्षको/वनपाल का स्थानतरण एक ही वनमण्डल में एक बीट से दूसरी बीट एवं एक ही परिक्षेत्र सहायक से दूसरे परिक्षेत्र सहायक वृत में स्थानतरण किया जाता है जबकि वनरक्षकों/वनपालो का स्थानांतरण एक वन मण्डल से दूसरे वनमण्डल किया जाना चाहिए जिससे वन/वन्यप्राणी की सुरक्षा एवं आम जनता पर विपरीत प्रभाव नहीं पडेगा एवं अधिकतर बाबू गृह मुख्यलय स्तर पर रहकर 06 से 12 वर्ष तक लगातार एक ही कार्यालय में रहाकर एकतरफा बाबूगिरी राज चलाया जा रहा है जिससे आम जनता पर विपरीत प्रभाव पडता है।