वाल्मीकिनगर (बगहा)/बैरगनिया। नेपाल के म्यागदी जिले में बेनी बाजार रामछे गांव के पास काली गंडक नदी में पहाड़ टूट कर गिर गया है। इससे नदी से पानी का बहाव पूरी तरह से बंद हो गया है और एक कृत्रिम झील बन गयी है। रविवार सुबह तक इसमें आठ लाख क्यूसेक पानी स्टोर हो चुका था। जल स्तर 150 फुट तक पहुंच गया है।
पानी लगातार बढ़ रहा है। इस वजह से भारत में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इससे खतरा काफी बढ़ गया है। इसके मद्देनजर वाल्मीकिनगर गंडक बराज के सभी 36 फाटक खोल दिये गये हैं। इलाके में हाइ अलर्ट घोषित किया गया है। बराज के कंट्रोल रूम में कार्यरत तकनीशियन की छुट्टी रद्द कर दी गयी है। काली गंडक नदी नेपाल से होकर भारत में बहती है, जिसे यहां गंडक के नाम से जाना जाता है। 25 अप्रैल से नेपाल व तराई इलाके में लगातार आ रहे भूकंप के झटकों से पहाड़ों की ढलान कमजोर हो गयी है।
नेपाल के बेलाटाड़ी पुलिस चौकी के इंस्पेक्टर जगत बंधु पोखरैल ने बताया कि तराई क्षेत्र में बाढ़ की आशंका है. इसको लेकर लोगों को अलर्ट कर दिया गया है. वहीं लाउडस्पीकर से प्रचार किया जा रहा है कि लोग सुरक्षित ठिकाना तलाश लें. इसमें नेपाली सेना व पुलिस को लगा दिया गया है.
उधर, काली गंडक नदी ही वाल्मीकिनगर में आकर गंडक नदी के नाम से जानी जाती है, इसलिए गंडक में बाढ़ की आशंका बढ़ गयी है. गंडक बराज के सहायक अभियंता मो जिलानी ने बताया कि नेपाल में पहाड़ टूटने की सूचना है. इससे बाढ़ आने की आशंका भी है. इसलिए गंडक के आसपास बसे गांव के लोगों को अलर्ट किया गया है. साथ ही गंडक बराज के सभी 36 फाटक खोल दिये गये हैं.
नौ लाख क्यूसेक के बाद खतरा
गंडक बराज के अभियंता ने बताया कि गंडक नदी में 8.5 लाख क्यूसेक पानी स्टोर करने की क्षमता है. इससे अधिक पानी आने पर खतरा बढ़ सकता है. फिलहाल गंडक में 22 हजार क्यूसेक पानी है. जल स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है. बराज के कंट्रोल रूम में कार्यरत तकनीशियन की छुट्टी रद्द कर दी गयी है.
गांवों में हाइ अलर्ट
नेपाली पुलिस अधिकारी जगत बंधु पोखरैल ने बताया कि जिस जगह पर पहाड़ टूट कर गिरा है, वह काठमांडो से करीब 150 किमी दूर है. नदी में मलबा जमा हो गया है. इस वजह से नदी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है. आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. प्रशासन ने एक दर्जन गांव के लोगों से सुरक्षित स्थानों की ओर जाने को कहा है.
एसएसबी भी अलर्ट
भारत-नेपाल सीमा पर कई बीओपी गंडक नदी के तट पर स्थित हैं. एसएसबी की ओर से जवानों को अलर्ट कर दिया गया है. एसएसबी के सेनानायक अमित कुमार ठाकुर ने चकदहवा, झंडू टोला व वाल्मीकिनगर बीओपी को हाइ अलर्ट कर दिया है. बाढ़ की स्थिति से निबटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है.
क्या है तैयारी
पुलिस प्रशासन की ओर से भले ही कोई तैयारी नहीं है. लेकिन सीमा की रखवाली करने वाले एसएसबी के जवान पूरी तरह से अलर्ट हैं. वहीं गंडक बराज के तकनीकी जानकार व अभियंताओं ने अलर्ट घोषित कर दिया है.
क्या है खतरा
पहाड़ टूटने के कारण काली गंडक नदी में मलवा भर गया है. इस वजह से पानी का बहाव रुक गया है. नेपाल के रामछे गांव के समीप काली गंडक नदी से वाल्मीकिगनर में गंडक नदी की दूरी 250 किमी है. पानी को यहां आने में करीब आठ घंटे लगेंगे. 8.5 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी आने पर वाल्मीकिनगर का गंडक बराज टूट सकता है.
गंडक बराज के सभी 36 फाटक खोले गये
अलर्ट घोषित, लोगों को सुरक्षित स्थान तलाशने को कहा गया
बराज के कंट्रोल रूम के तकनीशियनों की छुट्टी रद्द
काली गंडक ही बिहार में गंडक के नाम से है प्रसिद्ध
कृत्रिम झील टूटी तो मचेगी तबाही..
डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रोलॉजी एंड मेटेरियोलॉजी के डायरेक्टर जेनरल ऋषि राम शर्मा ने कहा कि कृत्रिम झील में 50 क्यूमेट (क्यूबिक मीटर प्रति सेकेंड) की दर से पानी भर रहा है. इस गति से एक घंटे में 1,80,000 क्यूबिक फुट पानी झील में जमा होगा. यदि 10 घंटे के भीतर झील में पानी के स्टोर को नहीं रोका गया, तो झील टूट जायेगा और आपसास के इलाकों में भारी तबाही मचेगी. सीमा से सटे बिहार के कुछ जिलों में भी बाढ़ से तबाही हो सकती है.
मलबा हटाने की कोशिश में सेना
नेपाल के गृह मंत्री लक्ष्मी प्रसाद ढकाल ने बताया कि नदी में जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है. सेना के जवान नदी में जमे मलबे को हटाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शनिवार रात हुए भू-स्खलन के कारण दो दर्जन घर नष्ट हुए हैं, लेकिन प्रशासन को हताहतों की जानकारी नहीं है.
भूकंप के तीन झटके
इस बीच काठमांडों और आसपास के इलाके में रविवार को भी भूकंप के तीन हल्के झटके भी महसूस किये गये. हालांकि, जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ. सुबह 7:06 बजे, 10:38 बजे और पूर्वाह्न् 11:46 बजे आये भूकंप की तीव्रता क्रमश: 4.2, 4.4 और 4.2 थी.