भोपाल। राज्य प्रशासनिक सेवा, राज्य पुलिस सेवा और राज्य वन सेवा के अधिकािरियों को परीक्षा देकर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस में चयन के प्रस्ताव पर मध्यप्रदेश सरकार ने खासी आपत्ति जाहिर की है।
दिल्ली में सोमवार को केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय में हुई बैठक में सामान्य प्रशासन कार्मिक विभाग के अफसरों ने कहा कि राज्य के अधिकारी पहले ही प्रतियोगी परीक्षा पास कर सेवा में आते हैं। ऐसे में अखिल भारतीय सेवा में पदोन्न्त होने के लिए उनकी फिर से परीक्षा लेना गलत होगा। बैठक में कर्नाटक और कश्मीर राज्य को छोड़कर सभी राज्यों ने आपत्ति जाहिर की।
डीओपीटी के अधिकारियों ने कहा कि केन्द्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) उनसे बार-बार नए पैटर्न पर जल्द निर्णय लेने के लिए कह रहा है। इसलिए सभी राज्य अपनी सहमति या आपत्ति जो भी हो लिखित में दे दें, जिससे उन्हें अवगत कराया जा सके। सबसे मजेदार बात ये है कि पिछली बार इस पैटर्न को सहमति देने वाले गुजरात ने भी इस बार विरोध जताया है।
कर्नाटक का कहना है कि नई भर्ती में परीक्षा की प्रणाली को लागू किया जाना उचित होगा, वहीं पुरानी भर्ती वाले राज्य सेवा के अधिकारियों की पदोन्न्ति वर्तमान व्यवस्था में ही की जाए। इस पर अन्य राज्यों ने आपत्ति की और कहा कि इस सिस्टम से जूनियर अधिकारी सीनियर के बॉस बन जाएंगे। इसलिए अखिल भारतीय सेवा में पदोन्न्ति की वर्तमान व्यवस्था को यथावत रखना उचित होगा।
इसलिए लिखित परीक्षा
देशभर में पदोन्नति से भरे जाने वाले 700 से अधिक रिक्त पदों को भरने यूपीएससी ने लिखित परीक्षा का प्रस्ताव तैयार किया है। इससे आवश्यकतानुसार जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरा जा सकेगा। बताया जा रहा है कि यूपीएससी ने परीक्षा के सिलेबस की तैयारी कर ली है। डीओपीटी की हरी झंडी मिलते ही सिलेबस जारी कर दिया जाएगा।
यह है प्रस्ताव
नए नियम के अनुसार शुरुआत में लिखित परीक्षा के लिए राप्रसे अधिकारी की अधिकतम आयु 45 वर्ष तय करने पर विचार चल रहा है, इसे आने वाले सालों में 30 वर्ष तक सीमित किया जाएगा। राप्रसे से आईएएस के लिए होने वाली परीक्षा 100 अंको की होगी।
इसमें एक वस्तुनिष्ठ प्रश्न और दूसरा सामान्य परीक्षा का पेपर होगा। इसमें 40 अंक लिखित परीक्षा, 20 अंक वरिष्ठता, 25 अंक गोपनीय प्रतिवेदन और 15 अंक साक्षात्कार के होंगे, वहीं अन्य सेवाओं के लिए लिखित परीक्षा के 55 अंक और साक्षात्कार के 20 अंक होंगे।