अपनी इनकम पर टैक्स कैसे बचाएं

Bhopal Samachar
इनकम, खर्च और इनवेस्टमेंट्स का मामला बैलेंस कर आप टैक्स के मद में निकलने वाली रकम काफी हद तक कम कर सकते हैं, बता रहे हैं सुधीर कौशिक

अगर सावधानी से इन्वेस्टमेंट प्लानिंग की जाए तो 10 लाख रुपये की सालाना इनकम पर टैक्स घटकर बमुश्किल 35,000 रुपये रह सकता है। हालांकि पिछले साल के टैक्स फाइलिंग डेटा से पता चलता है कि औसत भारतीय करदाता ने बेहतर टैक्स प्लानिंग करने वाले टैक्सपेयर के मुकाबले 30-35% ज्यादा टैक्स चुकाया। क्या आप उन लोगों में हैं, जो टैक्स के मोर्चे पर बचत नहीं कर पा रहे हैं? क्या आपकी ग्रॉस इनकम और नेट टेक-होम पे में बड़ा फर्क आपको परेशान करता है? फिर, आपको टैक्स प्लानिंग के मोर्चे पर इन कदमों से मदद मिल सकती है।

टैक्स में जाने वाली रकम पर नजर: सभी लोगों को यह सहूलियत तो नहीं मिलती, लेकिन काफी कंपनियां अपने कर्मचारियों को यह आजादी देती हैं कि वे मोटे तौर पर कैसे बेनेफिट्स चाहते हैं। आइए देखते हैं 38 साल के मार्केटिंग प्रफेशनल संजीव गुप्ता का मामला। उनकी सालाना आमदनी लगभग 11.35 लाख रुपये है। साथ ही 34,000 रुपये दूसरे स्रोतों से आते हैं। सेक्शन 80सी के तहत सभी टैक्स बेनेफिट्स लेने के बावजूद वह करीब 65,000 रुपये टैक्स चुकाते हैं। क्यों? बेसिक सैलरी बहुत ज्यादा है, हाउस रेंट अलाउंस पर कोई एग्जेम्प्शन नहीं है और टैक्सेबल स्पेशल अलाउंस ज्यादा है।

अब बेसिक सैलरी में बदलाव करें तो दूसरे बेनेफिट्स पर फर्क पड़ जाएगा, लिहाजा गुप्ता अपनी कंपनी से कह सकते हैं कि स्पेशल अलाउंस को 96,000 रुपये से घटाकर 40,000 रुपये कर दिया जाए। कंपनी चाहे तो उनकी ओर से एनपीएस में 52,000 रुपये डाल सकती है। सेक्शन 80सीसीडी(2) के तहत बेसिक सैलरी का 10% तक हिस्सा एनपीएस में एंप्लॉयर की ओर से जाए तो उस पर टैक्स डिडक्शन लिया जा सकता है। यह डिडक्शन सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये के अलावा होता है। स्पेशल अलाउंस के बाकी 4,000 रुपये उन्हें फूड कूपंस के रूप में दिए जा सकते हैं। यह गुप्ता के लिए टैक्स फ्री पर्क होगा। स्पेशल अलाउंस को एनपीएस और फूड कूपंस में बदलने पर टैक्स के मामले में गुप्ता 11,000 रुपये से ज्यादा बचा सकेंगे।

इन्वेस्टमेंट्स और डिडक्शंस में बदलाव: इस साल के बजट के मुताबिक, एनपीएस में 50,000 रुपये तक के इन्वेस्टमेंट्स पर सेक्शन 80सीसीडी(2) के तहत अतिरिक्त डिडक्शन लिया जा सकता है। अगर गुप्ता 50,000 रुपये एनपीएस में लगाएं तो वह टैक्स में और 10,000 रुपये की बचत कर सकते हैं। हालांकि उन्हें ध्यान रखना होगा कि यह रकम अगले 22 वर्षों के लिए लॉक हो जाएगी। कुछ मामलों को छोड़ दें तो एनपीएस में 60 साल में रिटायरमेंट से पहले आंशिक निकासी की इजाजत नहीं है।

गुप्ता को अपने मौजूदा निवेश में भी बदलाव करना होगा। उन्होंने एफडी में पैसे लगाए हैं और स्टॉक्स से उन्हें शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस हुए हैं। वह 20% के टैक्स ब्रेकेट में हैं, लिहाजा उन्हें ऐसे इन्वेस्टमेंट्स से बचना चाहिए, जिनमें टैक्स बचत न होती हो या कम होती हो। उन्हें अपनी रकम शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में लगानी चाहिए। इससे गेंस पर टैक्स विदड्रॉल के समय लगेगा। उन्हें स्टॉक्स में शॉर्ट टर्म निवेश से भी बचना चाहिए।

गुप्ता की एंप्लॉयर कंपनी उनके परिवार को 3 लाख रुपये का मेडिकल कवर देती है। हालांकि उन्हें अपनी ओर से भी एक हेल्थ कवर लेना चाहिए, जिसमें उनका पूरा परिवार कवर होता हो। 3 लाख रुपये के फ्लोटर कवर के लिए उन्हें करीब 12,600 रुपये देने होंगे। पति-पत्नी का सालाना मेडिकल चेक-अप भी अच्छा आइडिया है, जिसमें उनके करीब 5,000 रुपये लगेंगे। यह 17,600 रुपये का खर्च सेक्शन 80डी के तहत टैक्स डिडक्टेबल है। इससे टैक्स पेमेंट में लगभग 3,500 रुपये की कमी आएगी।

लीज पर कार: गुप्ता की कंपनी यह विकल्प नहीं देती, लेकिन उनके जैसे टैक्सपेयर्स टैक्स घटाने के लिए कंपनी लीज्ड कार का विकल्प चुन सकते हैं। टैक्स चुकाने के बाद बची इनकम से ईएमआई देने के बजाय वे अपने कंपनसेशन पैकेज में कंपनी लीज्ड कार की मांग कर सकते हैं। कंपनी ईएमआई देगी, जबकि कर्मचारी कार का यूज करेगा। अगर ईएमआई 12,000 रुपये महीने हो तो टैक्सेबल पर्क वैल्यू 1,800 रुपये होगी। 

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