भोपाल। स्मार्ट बनने की कवायद में जुटी मप्र पुलिस आरक्षकों को भी साइबर क्राइम से निपटने का ककहरा पढ़ाने पर विचार कर रही है। अभी पुलिस ट्रेनिंग स्कूलों में यह उप निरीक्षकों और डीएसपी स्तर के अफसरों के लिए ही है, वहीं पुलिस ट्रेनिंग स्कूलों व इसके कामकाज को युवाओं तक पहुंचाने की गरज से फेसबुक पेज तैयार कराया जा रहा है। साइबर क्राइम की बढ़ती चुनौतियों और पुलिस बल के परंपरागत तौर-तरीके नाकाफी साबित होने के बाद उच्चस्तर पर ये विचार पनपा है कि चयनित आरक्षकों की ट्रेनिंग में साइबर क्राइम का पाठ शामिल किया जाए। इसमें हाल में भोपाल में हुई आठ प्रदेश के पुलिस अफसरों की कान्फे्रंस भी सहायक सिद्ध हुई है।
हालांकि सूत्र बताते हैं कि आरक्षकों की संख्या अधिक होने से साइबर क्राइम का पाठ्यक्रम शुरू करने कुछ जरूरी व्यवस्था जुटानी होंगी, लेकिन समय की जरूरत देखते हुए इनके लिए ऐसा कोर्स जल्द शुरू किया जाएगा। ज्ञात हो मप्र पुलिस के ट्रेनिंग स्कूलों की क्षमता पांच हजार आरक्षकों को प्रशिक्षण देने की है। हाल में पीएम नरेंद्र मोदी ने पुलिस को स्मार्ट बनने के लिए समूचे बल को 'टेक-सेवी और वेल ट्रेंड" का मंत्र दिया है।
अगले कुछ दिनोंं में देशभर के पुलिस बल को इस संबंध में जरूरी निर्णय लेने हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) राजेंद्र कुमार के मुताबिक मप्र पुलिस सभी स्तर के प्रशिक्षणों में कंप्यूटर का ज्ञान अनिवार्य कर चुकी है। अब आरक्षक स्तर से ही साइबर क्राइम से निपटने के प्रशिक्षण पर विचार हो रहा है, जल्द इसका ठोस स्वरूप तैयार हो जाएगा।"
फेसबुक पर पुलिस ट्रेनिंग स्कूल
मप्र पुलिस के सभी पुलिस प्रशिक्षण स्कूलों व इनमें जारी कार्यक्रमों को सोशल मीडिया से जोड़ने की कोशिशें परवान पर हैं। इसके तहत अगले सप्ताह तक फेसबुलक पेज व टि्वटर हैंडल तैयार हो जाएगा। इसके जरिए लोगों के सुझाव आदि लेने तथा उनके मुताबिक स्कूलों व इसकी अन्य गतिविध्ाियों को ओर बेहतर बनाने के प्रयास होंगे। एडीजी राजेंद्र कुमार के मुताबिक हाल में अन्य राज्यों की कार्यप्रणाली समझने के बाद यह विचार आया है। महाराष्ट्र पुलिस ने इस दिशा में बढ़िया काम किया है, वहां सोशल मीडिया पर नजर रखने पूरी एक यूनिट है।