भोपाल। आॅनलाइन पेमेंट के मामले में भोपाल मप्र में अव्वल आता है। इसके बाद ग्वालियर जबकि मेट्रो लाइफ के लिए प्रख्यात इंदौर इसके बाद आता है। बावजूद इसके जब बाजार में शॉपिंग की बात आती है तो भोपाल के लोग कार्ड स्वैप कराना पसंद नहीं करते। वो कैश पेमेंट करते हैं।
बैंकों के आंकड़े बताते हैं कि पाॅस के जरिए होने वाले 80 फीसदी पेमेंट केवल शॉपिंग माल्स, शो रूम, पेट्रोल पंप और होटल में होते हैं। बाकी मध्यम दर्जे और छोटे दर्जे के सेल पाइंट्स पर ज्यादतर लेन-देन कैश में होता है। यह स्थिति तब है, जब आरबीआई के दिशा निर्देशों के तहत शहरों में कैश का फ्लो कम करने की लगातार कोशिश हो रही है। अब सरकार खुद कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए वैट में छूट और आयकर में राहत देने जा रही है। इसमें एटीएम और ब्रांच जाकर पैसा निकालने पर कई तरह के शुल्क लगाने पर विचार किया जा रहा है।
इसलिए पसंद है कैश में लेन-देन
>ज्यादतर दुकानदार खुद कैश में लेन-देन पसंद करते हैं, क्योंकि पॉस के एवज में उन्हें बैंक को फीस देनी पड़ती है।
>ग्राहक एटीएम पर तो भरोसा करता हैं लेकिन छोटी-मोटी जगह पर कार्ड के जरिए पेमेंट करने से बचता है। उसे लगता है कि कहीं उसका कार्ड क्लोन न हो जाए।
सुरक्षा के लिए यह करें
यह सुनिश्चित करें। आप जिस कार्ड से पेमेंट कर रहे हैं, वह चिप कार्ड हो। पुराने मैग्नेटिक स्ट्रिप कार्ड के क्लोन होने का खतरा था। इसलिए बैंक सारे मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड को चिप कार्ड में बदल रहे हैं। आप अपनी शाखा में जाकर नि:शुल्क पुराना कार्ड बदलवा सकते हैं।
कार्ड पेमेंट के यह फायदे
>आपके पास हर खरीदारी का रिकाॅर्ड होता है। इसका बाकायदा टैक्स सरकार को मिलता है। यानी आपसे टैक्स लेकर व्यापारी किसी भी स्थिति में अपने पास नहीं रख सकता।
>कैश में लूटपाट की आशंका रहती है। कार्ड अगर खो भी जाए तो आप उसे तत्काल ब्लाॅक करवा सकते हैं।
नाममात्र शुल्क
भारतीय स्टेट बैंक जैसे बड़े बैंकों की स्वैप मशीन लगाकर पेमेंट लेने वाले दुकानदारों को 2 हजार रुपए तक के हर ट्रांजेक्शन पर बिल राशि का केवल 0.75 फीसदी ही शुल्क देना होता है। 2000 से अधिक के बिल पर यह शुल्क केवल 1 फीसदी ही है।