रतलाम। महिला सरपंच और उसके पति द्वारा खुद के कम पढ़े-लिखे होने के हवाला देते हुए अपने अधिकार एक अन्य व्यक्ति को सौंप देने का मामला सामने आया है। सरपंच ने इसके लिए बकायदा 500 रुपए के स्टाम्प पर संबंधित व्यक्ति के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी भी कर दी। पंचायत में नया सचिव आने के बाद मामले का खुलासा हुआ।
मामला समीपस्थ ग्राम पंतायत मेवासा का है। यहां नवनिर्वाचित सरपंच बगदीबाई पति कन्हैयालाल मीणा ने कथित तौर पर 25 फरवरी को गांव के ही एक व्यक्ति दीपक शर्मा के नाम 500 रुपए के स्टाम्प पर मुख्तियारनामा तैयार करवाया। इसमें उल्लेख है कि सरपंच की गैरमौजूदगी में दीपक शर्मा उसके फैसले को क्रियान्वियत करा सकेगा।
इसके अलावा शासकीय बैठकों और सरकारी दफ्तरों में भी दीपक सरपंच के स्थान पर आ जा सकता है। इस पावर ऑफ अटॉर्नी में यह भी लिखवाया है कि दीपक शर्मा द्वारा किए गए कार्य उसी प्रकार मान्य होंगे, जिस प्रकार सरपंच बगदीबाई द्वारा किए गए कार्य मान्य होते हैं।
शर्मा ने बनावाया!
इधर पंचायत सूत्र बताते हैं कि यह पावर ऑफ अटॉर्नी खुद शर्मा ने बनवाई है। उसने पंचायत चुनाव में 15 हजार रुपए खर्च किए थे। इसके एवज में उसके अधिकार मांगे थे। 22 फरवरी को चुनाव संपन्न होने के बाद 25 फरवरी को उक्त पावर ऑफ अटॉर्नी बनाई गई। इस संबंध में सरपंच पति और दीपक शर्मा दोनों से बात की गई, मगर वे ज्यादा कुछ नहीं बोल पाए।
पंचायत सचिव हमारी बात नहीं मानते और हम कम पढ़े-लिखे हैं। इसलिए ऐसा किया
कन्हैयालाल मीणा, सरपंच पति
मुझे गांव वालों ने कहा था, इसलिए ऐसा किया।
दीपक शर्मा
ग्राम पंचायत राज अधिनियम में सरपंच को अपने फैसले क्रियान्वित करने के लिए प्रतिनिधि नियुक्त करने का कोई प्रावधान नहीं हैं, न ही किसी अन्य तरह के प्रतिनिधि नियुक्त करने का अधिकार है। यह नियम विरुद्ध है। सरपंच अपने फैसले पंचायत के ठहराव, प्रस्ताव अनुसार पंचायत सचिव के माध्यम क्रियान्वित करा सकते हैं।
प्रवीण भट्ट, एडवोकेट