इंदौर। नंदानगर स्थित पिंक फ्लावर स्कूल प्रबंधन ने 10वीं में 85 प्रतिशत लाने वाली छात्रा को स्कूल से निकाल दिया है। स्कूल ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि 10वीं की पढ़ाई के दौरान प्रंसीपल ने छात्रा को चांटा मारा था, छात्रा ने इसकी शिकायत पिताजी से कर दी थी और पिताजी ने प्रंसीपल को खूब खरीखोटी सुनाईं थीं। प्रंसीपल को चांटा मारने का दुख नहीं हुआ, बल्कि वो बदले की आग में 6 महीने तक जलता रहा और जैसे ही मौका मिला, छात्रा को स्कूल से निकाल दिया।
मामला नंदा नगर स्थित पिंक फ्लावर स्कूल का है। यहां दसवीं में 85 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाली छात्रा नम्रता जाकोदिया शनिवार को चाइल्ड लाइन में मदद मांगने पहुंची। नम्रता ने बताया कि छह महीने पहले कक्षा में सहेलियों के साथ मस्ती करने के दौरान इंचार्ज ने डांटा था। इसके लिए हमने उसी समय माफी मांग ली थी। दो दिन बाद प्राचार्य ने ऑफिस में बुलाकर चांटा मारा। जोर से चांटा लगने से सिर दीवार में लग गया। यह बात पिता को बताई तो उन्होंने स्कूल में आकर गुस्सा उतारा। इस दौरान गाली-गलौज तक बात पहुंच गई थी। फिर मामला सुलझ गया और स्कूल में सामान्य पढ़ाई शुरू हो गई। इस सत्र में 11वीं कक्षा में 17 जून को स्कूल गई तो प्राचार्य ने बुलाकर कहा कि हम तुम्हें स्कूल में नहीं बैठा सकते। यह कहते हुए कक्षा 8वीं में पढ़ने वाली छोटी बहन रवीना को भी स्कूल आने से मना कर दिया। नम्रता का कहना है कि हम उसी स्कूल में पढ़ना चाहते हैं, क्योंकि वहां शिक्षक और पढ़ाई अच्छी है।
शिक्षा विभाग को शिकायत भेज दी है
चाइल्ड लाइन समन्वयक अविनाश वर्मा ने बताया कि कलेक्टर के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी बच्चे को स्कूल से निकालकर शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता। शिक्षा अधिकारी से इनकी शिकायत कर दी है।
अभद्रता सहन नहीं करेंगे
हमें छात्राओं से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन उनके पिता ने पूरे स्टाफ के सामने जिस तरह से गंदी-गंदी गालियां बकी थीं। वह हमारे सम्मान के खिलाफ है। हमने उसी समय छात्रा की मां से लिखवा लिया था कि इस साल पढ़ाने के बाद अगले साल स्कूल से निकलवा लेंगे। पिता कभी भी स्कूल में आकर अभद्रता करने लगते हैं। दो साल पहले छात्रा के भाई को भी गाली बकने के कारण ही स्कूल से निकाला था।
हिमांशु सोनी, प्राचार्य, पिंक फ्लावर स्कूल