भोपाल। 1 जुलाई से आँगनवाड़ियों में फ्लेवर्ड दूध की सप्लाई भले ही कोई भी कंपनी करे लेकिन यदि बच्चों को खराब दूध बांटा गया तो आँगनवाड़ी कार्यकर्ता जिम्मेदार होंगी। दूध वितरण से पहले उन्हें गुणवत्ता की अंतिम और निर्णायक जांच करनी होगी। इसके लिए उनको कोई उपकरण नहीं दिया जाएगा, अलबत्ता स्व्यं चखकर उन्हे अनुमान लगाना होगा कि गुणवत्ता का स्तर क्या है।
राज्य शासन ने सभी जिला अधिकारियों को भेजे निर्देश में कहा है कि पाउडर के संग्रहण से लेकर उसके वितरण के हर चरण में दूध की गुणवत्ता जानने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी। मातृ सहयोगिनी समिति के सदस्य, पोषण मित्र एवं बच्चों के पालक इस प्रक्रिया में शामिल रहेंगे जिससे बच्चों को शुद्ध दूध मिल सके। महिला पंच दूध प्रदाय के प्रत्येक चरण पर दूध पाउडर संग्रहण, गर्म पानी से तैयार करने की मॉनिटरिंग करेंगी। आँगनवाड़ी में तैयार किये गये दूध की 50 एम.एल. मात्रा का सेम्पल उपयुक्त विधि से सील बंद डिब्बे या ग्लास में आँगनवाड़ी बंद होने तक सुरक्षित रखा जाएगा।