भोपाल। एमपी नगर में बोर्ड आफिस की दीवार गिरने से हुई युवती की मौत एक प्राकृतिक आपदा नहीं थी बल्कि भ्रष्टाचार का परिणाम था। इस मामले में तीन लोग प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। पहला वो ठेकेदार जिसने दीवार बनाई, दूसरा वो इंजीनियर जिसने इस दीवार की गुणवत्ता की जांच की और तीसरा माशिमं का वो अधिकारी जो इस भवन का मेंटेनेंस देखता है। यह सीधे सीधे एक पुलिस प्रकरण है। आईपीसी की धारा 340 के तहत जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।
विभागीय जांच की शुरूआत में ही यह मामला स्पष्ट हो गया है कि दीवार उसके गलत तरीके से किए गए निर्माण के कारण गिरी है। यह दीवान चार रोज पहले भी दरक गई थी, यदि उसी समय सचेत हो जाते तो एक मौत को रोका जा सकता था। इस मौत को हत्या तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन सामान्य मौत भी नहीं माना जा सकता। यह जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई मौत है जो आईपीसी की धारा 304 के तहत रंगीन अपराध है।
जांच अधिकारी ने विभिन्न स्तर पर मांगी है रिपोर्ट
मंडल सचिव शशांक मिश्रा ने इस मामले की जांच का जिम्मा अतिरिक्त सचिव एनपी नामदेव को सौंपा है। जांच अधिकारी ने बिल्डिंग सेक्शन से दीवार बनाने वाले इंजीनियर व ठेकेदार के नाम, निर्माण की लागत, काम के लिए किए गए भुगतान की राशि की जानकारी मांगी है। इस दीवार का निर्माण दो साल पहले किया गया था। ठेकेदार ने पुरानी दीवार पर लगे लोहे के एंगल पर ही नई दीवार खड़ी करवा दी थी।
बारिश के चार दिन पहले ही गिर गई थी आधी दीवार
कर्मचारियों के अनुसार बारिश के चार दिन पहले ही आधी दीवार गिर चुकी थी। जिस दिन दीवार गिरी, उसी दिन पूरी बाउंड्री की दीवार झुक गई थी और इसमें दरारें आ गई थीं। इसकी जानकारी होने के बावजूद मंडल के इंजीनियर ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इस दीवार के निर्माण के लिए करीब साढ़े बारह लाख रुपए के भुगतान की जानकारी भी सामने आई है।
एक लाख सहायता देकर फरियादी को चुप कराने की कोशिश
उधर, मंडल सचिव ने हादसे में मृत महिला के परिवार को एक लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने जांच रिपोर्ट के आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की बात कही है। वहीं, मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।