चुनाव ड्यूटी मानदेय का मामला उलझा

ग्वालियर। लोकसभा चुनाव के दौरान ड्यूटी करने वाले वाहन चालकों से लेकर मतदान अधिकारी तक के मानदेय के भुगतान को लेकर अभी तक विवाद की स्थिति बनी हुई है। शासकीय वाहन चालकों के भुगतान को लेकर कलेक्ट्रेट की निर्वाचन शाखा वर्ष 2003 की दरों के हिसाब से ही भुगतान करने की जिद पर अड़ी है। जबकि इन दरों में संशोधन कर दूसरे कर्मचारियों को बढ़ा हुआ मानेदय दिया जा चुका है। जब वाहन चालकों ने भी परिवर्तित दरों के मान से मानदेय मांगा तो इसमें आनाकानी की जा रही है।

यह मामला जन सुनवाई और टीएल के जरिए वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा है। मप्र शासकीय वाहन चालक संघ के प्रांतीय सचिव महेन्द्र कुमार ओझा ने बताया कि पहले चुनाव ड्यूटी में मानदेय 75 रुपए प्रथम दिन व शेष 40 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता था। इसमें बदलाव किया गया है। अब 250 रुपए प्रतिदिन व भोजन के 150 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिए जाने का प्रावधान निर्वाचन आयोग ने किया है। लेकिन निर्वाचन की भुगतान शाखा में पदस्थ रामकृष्ण गुप्ता वाहन चालकों के भुगतान की प्रक्रिया बाधित कर रहे हैं। वे पुरानी दर से ही भुगतान करने पर अड़े है। इस मामले में तब रोचक मोड़ आया, जब निर्वाचन शाखा के बाबू ने एडीएम तरुण भटनागर के मानदेय का भुगतान भी पुरानी दरों से कर दिया। एक लिपिक द्वारा एडीएम के साथ किए गए इस व्यवहार की चर्चा पूरे कलेक्ट्रेट में हुई। इसके बाद वाहन चालकों ने जनसुनवाई और टीएल में इस मामले को दर्ज करवाया। लगभग आधा सैकड़ा वाहन चालकों के मानेदय का भुगतान इस विवाद के कारण अटका हुआ है।

कुछ इस तरह मिलना चाहिए मानदेय
वाहन चालकों को नई संशोधित दरों के हिसाब से 250 रुपए प्रतिदिन और 150 रुपए प्रतिदिन भोजन के अनुसार भुगतान किया जाना है। निर्वाचन के दौरान वाहन चालकों से तीन दिन तक 18-18 घंटे तक काम कराया गया। इस प्रकार कुल 1200 रुपए का भुगतान एक वाहन चालक को होना चाहिए था। लेकिन निर्वाचन शाखा 75 रुपए पहले दिन के व शेष दो दिन के 40-40 रुपए के हिसाब से सिर्फ 155 रुपए प्रति व्यक्ति का भुगतान करना चाहती है। यही विवाद की वजह है, जिसकी शिकायत निर्वाचन पदाधिकारियों से की गई है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!