जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट सीएम शिवराज सिंह चौहान की कुण्डली खोलने की योजना पर पानी फिर गया। हाईकोर्ट ने कांग्रेसी प्रवक्ता केके मिश्रा की याचिका का इस निर्देश के साथ निपटारा कर दिया कि याचिकाकर्ता मानहानि के मुकदमे की सुनवाई कर रही भोपाल की अदालत में अपना पक्ष रखने स्वतंत्र है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस केके त्रिवेदी की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई।
इस दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में एक बयान जारी करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ससुराल यानी उनकी पत्नी श्रीमती साधना सिंह के मायके गोंदिया के निवासी आवेदकों का व्यापमं द्वारा आयोजित परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में गलत तरीके से चयन हुआ है। लिहाजा, चयनित आवेदकों के मूल दस्तावेज बुलवाए जाएं।
यह मांग भोपाल की अदालत से नामंजूर होने पर हाईकोर्ट की शरण ली गई। इसके विरोध में राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने तर्क रखे। उन्होंने कहा कि इस बारे में भोपाल की अदालत के सामने मांग रखना उचित होगा। वह मानहानि के मुकदमे की सुनवाई के दौरान जब आवश्यकता होगी मांग पर अपना निर्णय लेगी। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद जनहित याचिका का निर्देश के साथ निपटारा कर दिया।