इंदौर। पढ़ाई में अव्वल इतने अवार्ड जीते कि घर में बर्तन से ज्यादा उसकी ट्रॉफी और प्रमाण पत्र हैं। दसवीं में 85 प्रतिशत अंक हासिल करने पर पांच दिन पहले ही कलेक्टर ने अवार्ड देकर सम्मानित किया था। पता नहीं क्या बात ऐसी हुई कि उसी ब्रिलियंट छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह भी उस पंखे पर, जिस पर फंदा डालकर करीब दस साल पहले उसके पिता ने फांसी लगाई थी।
छात्रा का नाम पूजा पिता स्व. संतोष मालाकार (16) निवासी द्वारकापुरी है। दोपहर के समय घर में पूजा और उसकी छोटी बहन आरती थी। मां कंचनबाई एक निजी स्कूल में, जबकि बड़ा भाई एक फैक्टरी में नौकरी करता है। शाम 4.30 बजे आरती कमरे में गई तो देखा पूजा पंखे से लटकी हुई थी। वह चीखती हुई बाहर आई और वहां बैठे मामा धर्मेंद्र को बताया। इस पर धर्मेंद्र ने चाकू से फंदा काटा और जिला अस्पताल ले गए जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
गुस्से की बहुत तेज थी
पूजा जितनी होनहार थी, उतनी ही गुस्से की तेज थी। नजदीकी लोगों के मुताबिक दोपहर में उसका व आरती का विवाद हुआ और उसके बाद उसने यह कदम उठाया। जिस कमरे में उसने फांसी लगाई, 10 साल पहले उसके पिता ने भी उसी पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या की थी।
कई अवार्ड किए थे हासिल
शासकीय अत्रीदेवी स्कूल की छात्रा पूजा हर बार परीक्षा में प्रथम आती थी। इसी साल 10वीं में वह 85 प्रतिशत लाई थी। इस पर 16 जून को कलेक्टर पी. नरहरि ने उसे प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक पढ़ाई के साथ वह अन्य विधाओं में भी दक्ष थी और कई अवार्ड हासिल किए थे। उसके घर में बर्तन से ज्यादा उसके अवार्ड और प्रमाण पत्र हैं। चंदन नगर पुलिस ने मर्ग कायम किया है।