निकाले गये संविदा कर्मचारियों को बहाल करें: हाईकोर्ट

भोपाल। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि मप्र विद्युत वितरण कम्पनी इंदौर क्षेत्र ने 31 मार्च 2015 को कम्पनी में पिछले पांच वर्षो से संविदा पर कार्यरत 11 जूनियर इंजीनियिरों को उनकी संविदा समाप्त होने पर सेवा से बाहर कर दिया था और संविदा में वृद्वि नहीं की थी।

कम्पनी ने इन पदों पर नई भर्ती के लिए 30 मई को विज्ञापन भी निकाल दिया था। इस सबंध में संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने  अनेक बार ऊर्जा मंत्री, मुख्यमंत्री, विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन देकर बहाल करने के लिये ज्ञापन दिये थे तथा संविदा समाप्ती के विरोध में ओर बहाली की मांग को लेकर आंदोलन किया था। उसके बाद हटाये गये संविदा जुनियर इंजीनियर विमल कुमार, दिनेश अरजानिया, संजय गोले, प्रवीण कुमार मिश्रा ने न्यायलय की शरण ली और माननीय उच्च नयायालय की इंदौर खण्ड पीठ में एक याचिका दायर की।  याचिका कर्ताओं का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मीना चापेकर ने रखा।

याचिका पर सुनवाई करते हुये माननीय उच्च नयायालय इंदौर खण्ड पीठ के माननीय न्यायाधीश एस.सी. शर्मा ने निर्णय देते हुये कहा कि म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी में संविदा जुनियर इंजीनियर पिछले 5 वर्षो से निरंतर कार्य कर रहे थे । कम्पनी ने इन पदों पर नियमित भर्ती के लिए 30 मई 2015 को विज्ञापन निकाल दिया है जबकि इन पदों पर पहले से जो संविदा कर्मचारी कार्य कर रहे थे उनको हटा दिया, इसलिए यदि कम्पनी को कार्य की आवश्यकता है तो पहले से कार्य कर रहे संविदा कर्मचारियों को लिया जाना चाहिए ना कि उन्हें हटाना चाहिए।

न्यायालय ने यह भी देखा कि भाजपा के घोषणा पत्र जिसका नाम जनसंकल्प है का पालन करवाने के लिये राज्य मंत्रालय की और से सभी विद्युत वितरण कम्पनियों को एक पत्र भी भेजा गया था जिसमें उल्लेख था कि जनसंकल्प 2013 में गई घोषणाओं का पालन करना सुनिश्चित करें । घोषणा पत्र में उल्लेख है कि सरकार बनने के बाद सबसे पहले संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जायेगा जिसका पालन म.प्र. विद्युत वितरण कम्पनियों ने नहीं किया । संविदा कर्मचारियों को नियमित करना तो दूर बल्किी उनको निकाला जा रहा है । इसलिए माननीय उच्च न्यायालय इंदौर खण्डपीठ ने कम्पनी को आदेश जारी किये कि जिन संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्त की गई है उनको आगामी आदेश तक उनकी संविदा बहाल की जाए और निरंतर रखा जाए । तथा उनका आवेदन नई भर्ती में स्वीकार नहीं किया गया था उस आवेदन को भी स्वीकार किया जाए ।  

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