आनंद ताम्रकार/बालाघाट। आदिवासियों की जिस प्रजाति 'बैगा' को सरकार द्वारा संरक्षित किया गया है, जिनकी आबादी बढ़ने का इंतजार किया जा रहा है, स्थानीय प्रशासन ने कमीशन के लालच में उनकी नसबंदी करा दी। इलाके की 75 प्रतिशत बैगा आदिवासी महिलाओं की नसबंदी की जा चुकी है। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रजाति को समाप्त करने का षडयंत्र कहा जा सकता है और गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
मध्यप्रदेश में बालाधाट जिले के बैहर एवं डिंडोरी, मण्डला, अनुपपुर, शहडोल मे बैगा परियोजना संचालित है। सरकार बैगा जन.जाति के विकास एवं उत्थान के लिए प्रति वर्ष करोडो रूपये स्वीकृत कर विलुप्त होती जन.जाति को बचाने का प्रयास कर रही है। सरकार ने बैगा जन.जाति को राष्ट्रीय मानव का दर्जा दिया हुआ है। पूरे देश मे बैगाओं की सबसे ज्यादा संख्या बालाघाट जिले के बैहर, बिरसा एवं परसवाडा तहसील मे है जिनकी संख्या लगभग 21 हजार बताई गई है किन्तु अब बैगाओं का वंश खतरे में पड गया है।
सरकारी आवास का दिया लालच
सरकार की नीतिओं के तहत अधिकारी-कर्मचारियों ने अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए लगभग 75 से 80 प्रतिशत बैगा जन.जाति (जिनमें महिला पुरूष दोनो शामिल हैं) को आवास दिलाने एंव अन्य प्रलोभन देकर उनकी नसबन्दी आॅपरेशन करवा दिया। इस विसंगतियों के चलते बैगा जनजाति के वंश की बढौत्तरी पर अंकुश लग गया जा।