बेटे को मुखाग्नि देने की हिम्मत नहीं जुटा पाया पिता

भोपाल। इकलौते जवान बेटे की मौत ने उसे जैसे तोड़कर रख दिया। कलेजे पर पत्थर रखकर वह लोगों का सहारा लेकर बिलखते हुए श्मशान तक तो पहुंच गया, लेकिन अपने कलेजे के टुकड़े को दाग देने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। अंततः दस साल के मासूम भतीजे ने भाई को मुखाग्नि दी।

दरअसल होशंगाबाद रोड स्थित निर्मल एस्टेट में रहने वाले हरिओम श्रीवास्तव के 21 साल के बेटे ने शुक्रवार दोपहर में गुस्से में जहर खा लिया था। शाम को उसकी मौत हो गई थी। विंध्याचल भवन में पदस्थ हरिओम और उनकी पत्नी डायबिटिक हैं। बेटे की मौत का सदमा उनके बर्दाश्त के बाहर था। घटना की सूचना मिलते ही विदिशा में स्वास्थ विभाग में कार्यरत उनके साले अश्विनी भोपाल आए और बहन-बहनोई को संभाला।

शनिवार सुबह अश्विनी ही अभिषेक का शव लेने मर्चुरी पहुंचे। पीएम के बाद जब शव घर पहुंचा, तो परिवार बेहाल हो गया। बार-बार बेसुध हो रहे माता-पिता और बहन प्रियंका को लोग किसी तरह काबू करते रहे। पिता को किसी तरह सहारा देकर श्मशान घाट तक ले जाया गया लेकिन बेटे की अर्थी के पास तक जाने की वह हिम्मत नहीं जुटा पाए। अंततः छोटे भाई के 10 साल के बेटे बिट्टू और अश्विनी ने अभिषेक की चिता को अग्नि दी।

स्वभाव से काफी गुस्सैल था
इकलौता होने के कारण अभिषेक काफी लाड़-प्यार में पला था। इसके चलते बात-बात में वह गुस्सा हो जाता था। उसकी बहन प्रियंका बीई पास आउट है। जल्द ही उसकी बैंगलौर में नौकरी भी लगने वाली है। शुक्रवार को भाई-बहन घर में थे, तभी किसी बात पर अभिषेक अचानक गुस्सा हो गया और गेहूं में रखने वाली जहरीली गोली खा ली। मामले की जांच कर रहे एएसआई चंद्रभानसिंह ने बताया कि अभिषेक ने ऐसा कदम क्यों उठाया इस बात की जांच की जा रही है।

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