मैं कलेक्टर हूं, किसी की नहीं सुनती: किंजल सिंह

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इंदौर। मैं पहले कलेक्टर हूं, महिला मानकर दायित्वों से खिलवाड़ न करे। प्रशासनिक अधिकारियों को अपने विवेक से दायित्वों का पालन करना होता है, बाहर से काफी दबाव की स्थिति बनती है, लेकिन जनहित, नियमों के पालन में हम लोग वहीं निर्णय लेते हैं, जो हमें लेना होता है। हम किसी की नहीं सुनते हैं। 

पारिवारिक स्थिति विषम होने से काफी संघर्ष कर आईएएस बनी लखीमपुर खीरी (उत्तरप्रदेश) की कलेक्टर किंजल सिंह ने ये विचार व्यक्त किए। वे देवी अहिल्योत्सव समिति के तत्वावधान में चार ऐसी विदुषी व सफलतम महिलाओं का कार्यक्रम अनंत शून्य से शिखर तक कार्यक्रम में बोल रही थी। रविवार की शाम आनंदमोहन माथुर सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पांच सौ से अधिक शहरवासी नारी शक्ति को सलाम के इस आयोजन में मौजूद थे। किंजल सिंह ने कहा कि लड़की होना गर्व की बात है, पढ़कर देश के लिए काम करना काफी महत्वपूर्ण है। हम जिस भी पद पर है, उसका उचित तरीको से निर्वहन बहुत जरूरी है। 

हम यह न सोचे की महिला हूं, यह काम क्यों करूं, जिस दायित्वों के लिए हमें भेजा गया है, वह दायित्व हर हाल में निभाना चाहिए। सांसद साध्वी सावित्री बाई फूले ने कहा कि राजनीति व संन्यासी साथ में भले ही विचित्र बात है, लेकिन मैं पहले संन्यासी हूं, जनहित के लिए सदैव आगे आती हूं, जब तक सांस चलेगी, लोगों के लिए हित के लिए काम करती रहूंगी। 

कन्थारी इंटरनेशनल की सेरिएटेन बर्केन ने कहा कि मैं पहले अंधत्व की शिकार नहीं थी, लेकिन बाद में ऐसी अवस्था में आई हूं, मेरा लक्ष्य लोगों की मदद करना है, इसके लिए मेरे पास हौसला है, काफी लोगों की टीम है, अंधत्व के शिकार लोगों की मदद के लिए काफी बड़ा क्षेत्र है, मैं यह जीवन पर्यंत करती रहूंगी। कल्याणी इंस्टिट्यूट की निर्देशक साधना खोचे ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र आलीराजपुर, झाबुआ में काम करना अलग ही आनंद व सुकून देता है। 

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