जिंदगी भर की कमाई ट्रस्ट को दान कर गईं महिला बाल विकास अधिकारी

ग्वालियर। एक तरफ मप्र शासन के अफसर करोड़ों की काली कमाई जमा करने में दिनरात जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं। कैंसर से पीड़ित महिला बाल विकास अधिकारी स्नेहलता भदौरिया ने अपनी जिंदगी भर की कमाई और इस कमाई से बनाई सारी सपंत्ति जो 1 करोड़ से ज्यादा की है, गरीबों का इलाज करने वाले ट्रस्ट को दान कर दी। उन्होंने अपने परिवार के साथ भी अन्याय नहीं किया, पूरी पैतृक संपत्ति परिवार के नाम कर दी।

कैंसर की बीमारी से ग्रस्त थीं और लंबे समय से इस बीमारी से जूझ रही थीं। 30 मई को ही उन्‍हें अपनी मौत की दस्तक सुनाई दे गई थी। यह अहसास होते ही उनके मन में सबसे पहला ख्याल आया कि वह दुनिया को अलविदा कहने से पहले कुछ ऐसा कर जाएं, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का कुछ हित हो सके। इसलिए उन्होंने कैंसर अस्पताल में ही अपने अभिभाषक को बुलाकर एक वसीयत तैयार करवाई।

इसमें उन्होंने अपनी सभी चल-अचल सम्पत्ति गरीबों के इलाज के लिए अनन्या पार्थ सारथी ट्रस्ट को दान कर दी। वहीं जो सम्पत्ति उन्‍हें पैतृक मिली थी, उसे अपने भाई-बहन और उनके बच्चों के नाम कर दिया था। वसीयत तैयार करवाने के 14 दिन बाद उनकी मौत हो गई, जिसे उनके अभिभाषक द्वारा शनिवार को सार्वजनिक कर दिया गया। मेहगांव की महिला बाल विकास अधिकारी स्नेहलता भदौरिया (54) अविवाहित थीं। कुछ साल पहले उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो गया था, जिसका निरंतर उपचार चल रहा था। इसी दौरान उन्होंने गरीबों के नि:शुल्क उपचार के लिए अनन्या पार्थ सारथी ट्रस्ट नाम से एक संस्था बनाई थी।

इसकी मुख्य ट्रस्टी वही थीं। पिछले दिनों जब स्नेहलता भदौरिया का स्वास्थ्य ज्यादा खराब हुआ तो उन्‍हें ग्वालियर स्थित कैंसर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसी बीच उन्होंने 30 मई को अचानक यह अहसास हुआ कि उनके जीवन की डोर टूटने वाली है। यह अहसास होते ही उन्होंने अपने अभिभाषक विवेक शुक्ला को बुलाकर अपनी वसीयत तैयार करवाई। इस वसीयत में उन्होंने झंवर एस्टेट स्थित अपना फ्लैट, आनंद नगर में अपना घर योजना में लिया गया मकान, प्रोवीडेन्ट फंड़, भारतीय स्टेट बैंक, सेन्ट्रल बैंक और एक्सिस बैंक के खातों में जमा पूरी राशि और 4 साल का वेतन अनन्या पार्थ सारथी ट्रस्ट के नाम कर दिया, जिससे गरीबों का नि:शुल्क उपचार किया जा सके। यह सम्पत्ति करीब 1 करोड़ रुपए की आंकी जा रही है।

13 जून को हुई मौत
वसीयत के 14 दिन बाद 13 जून को स्नेहलता भदौरिया की मौत हो गई। इसके बाद उनके अभिभाषक विवेक शुक्ला ने शनिवार को उनकी वसीयत को सार्वजनिक कर दिया।

परिजनों को नहीं भूलीं
स्नेहलता भदौरिया ने अपने द्वारा कमाई तमाम चल-अचल सम्पत्ति गरीबों के उपचार के लिए दान दे दी। लेकिन जो सम्पत्ति उन्हें पैतृक मिली थी, उसे उन्होंने अपने भाई-बहन और उनके बच्चों के नाम कर दिया है।

4 साल से नहीं मिला वेतन
अभिभाषक विवेक शुक्ला के मुताबिक स्व. स्नेहलता को पिछले 4 सालों से वेतन नहीं मिला था। हालांकि वह यह नहीं बता सके कि वेतन क्यों नहीं मिला था। यह रुका हुआ वेतन भी वह ट्रस्ट को ही सौंप गई हैं।

स्नेहलता भदौरिया ने 30 मई को कैंसर अस्पताल में उपचार के दौरान अपनी वसीयत की थी। इसमें वह अपनी तमाम चल-अचल सम्पत्ति अनन्या पार्थ सारथी ट्रस्ट को गरीबों के उपचार के लिए दे गई हैं। जबकि पैतृक सम्पत्ति उन्होंने अपने भाई-बहन और उनके बच्चों के नाम की है। इस वसीयत को सार्वजनिक कर दिया गया है।
विवेक शुक्ला, अभिभाषक

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