जबलपुर। मॉडलिंग करने की बचपन से चाह थी। डॉक्टर बनने से पहले कभी मॉडलिंग नहीं की। हसबैंड ने बिना बताए मिसेज इंडिया के लिए फोटो भेज दी और फिर उन्हें इंटरव्यू के लिए कॉल आ गया। सास-ससुर सभी ने सपोर्ट किया और इस मुकाम को हासिल कर पाई। 3 महीने तक हसबैंड ने कहा कि अपने लिए जियो अपनी इच्छाओं को पूरा करो। परिवार के प्यार और विश्वास से ये खिताब जीत सकी।
तनुश्री ने मुंबई में 28 जून को 18 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए ग्लैडरेग्ज मिसेज इंडिया का खिताब जीता है। शहर में पली बढ़ी तनुश्री पाण्डे पदगांवकर ने मिसेज इंडिया का खिताब जीतकर शहर को गौरवान्वित किया है। अपनी स्कूली शिक्षा और एमबीबीएस जबलपुर से करने वाली तनुश्री पाण्डे की शादी पिछले साल मुंबई में डॉ.तनय पदगांवकर के साथ हुई।
दोनों ही पेशे से डॉक्टर है। बचपन से मॉडलिंग की चाह को लेकर बढ़ी हुई तनुश्री को पढ़ाई के कारण कभी इस शौक को पूरा करने का वक्त नहीं मिला, लेकिन शौक को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती। कुछ ऐसा ही तुनश्री के साथ भी हुआ। एक डॉक्टर होते हुए उन्होंने मॉडलिंग में अपना लक आजमाया और मुंबई में मिसेज इंडिया का खिताब जीत लिया।
अच्छा डिबेटर होना काम आया
बचपन से ही एक अच्छी डिबेटर रहीं तनुश्री ने बताया कि इस खिताब को जीतने के लिए उनका डिबेटर होना 70 फीसदी काम आया। कॉन्फिडेंस, नॉलेज और इनरब्यूटी ये सब कुछ बेहद जरुरी होते है किसी भी कॉन्टेस्ट को जीतने के लिए।
मां और पति को दिया श्रेय
तुनश्री अपनी इस उपलब्धि के लिए अपनी मां और पति को श्रेय देती है। उन्होंने बताया कि जब वे 11 साल की थी तभी पापा गुजर गए। माता-पिता दोनों का ही प्यार उन्हें मां शुभदा पाण्डे ने दिया। और उन्हें एक डॉक्टर बनाया। पति तनय ने मुझे ये अहसास कराया कि मैं एक डॉक्टर बन सकती हूं तो फिर मिसेज इंडिया क्यों नहीं?
बच्चे की तरह सीखा सब कुछ
प्रोफेशनल मॉडल्स को देखकर स्टार्टिंग में बेहद डर गई। फिर कैमरे को फेस करना, वॉक, कैसे खड़े होना, बात कैसे करना 3 महीने की ट्रेनिंग में सब कुछ एक बच्चे की तरह सीखती रही। मॉडलिंग फील्ड से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। रात में 3-3 बजे तक ट्रेनिंग ली और जीत हासिल की।