भोपाल। देवकी नगर प्रोजेक्ट मामले में हाउसिंग बोर्ड की जालसाजी स्पष्ट सामने आ गई है। एक प्राइवेट बिल्डर की तरह हाउसिंग बोर्ड ने भी लोगों को 2009 से 2015 तक अंधेरे में रखा, उनकी जमा रकम का उपयोग किया और अब अधिकारी मकान देने से स्पष्ट इंकार कर रहे हैं।
हाउसिंग बोर्ड के देवकी नगर प्रोजेक्ट में वर्ष 2009 में जिन लोगों ने 9 लाख रुपए में सिंगलेक्स बुक किए थे, वे अब मुश्किल में हैं। बोर्ड उन्हें छह साल बाद भी मकान बनाकर नहीं दे पाया। हद तो यह है कि बोर्ड ने संशोधित प्लान में सिंगलेक्स से भी छोटे आकार के फ्लैट देने का ऑफर दिया है। दिलचस्प यह है कि प्रस्तावित फ्लैट की कीमत बुक किए गए सिंगलेक्स से तीन गुनी ज्यादा है।
जिन लोगों ने 9 लाख रुपए में सिंगलेक्स बुक किए थे, अब उन्हें 35 लाख रुपए में फ्लैट का ऑफर दिया गया है। ऑफर स्वीकार नहीं करने वालों को बुकिंग राशि वापस लेने को कहा गया है। इस प्रोजेक्ट में राजधानी के 168 लोगों ने प्रॉपर्टी बुक की थी। लोगों का कहना है कि बोर्ड ने उनके साथ धोखा किया है।
इस प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी बुक करने वाले लोग बोर्ड मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं। अफसर उनसे ठीक से बात भी नहीं करते। जो बात करते हैं, वे इतना ही कहते हैं कि दिक्कत है तो पैसे वापस ले लो। पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट वीरेंद्र मैथिल का कहना है कि सिंगलेक्स बुक करने के बाद उन्होंने कहीं और प्रॉपर्टी के बारे में सोचा तक नहीं। अब छह साल बाद बोर्ड उन्हें सिंगलेक्स के बदले तीन गुना ज्यादा कीमत पर फ्लैट ऑफर करके उनके साथ धोखा कर रहा है। यदि प्रोजेक्ट अप्रूव नहीं था तो फिर बोर्ड ने विज्ञापन ही क्यों जारी किया? अपनी गलती का हर्जाना वे लोगों से कैसे वसूल सकते हैं।
उपभोक्ता फोरम में करेंगे केस
प्राइवेट स्कूल में शिक्षक शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि बुकिंग के बाद उन्होंने तीन किश्तों में आधी से ज्यादा रकम चुका दी थी। बोर्ड अफसर अब जो ऑफर दे रहे हैं, उसमें सिंगलेक्स से छोटे आकार के फ्लैट देने की बात कही गई है। आखिर हम सरकार की एजेंसी पर भरोसा न करें तो फिर किस पर भरोसा करें। हम उपभोक्ता फोरम में केस दायर करेंगे।
कीलनदेव, महादेव में भी बढ़ेंगी कीमतें
बोर्ड आॅफिस और सेकंड स्टॉप की प्राइम लोकेशन पर मौजूदा महादेव, कीलनदेव और तुलसी टॉवर्स में अब तक लोगों को फ्लैट नंबर आवंटित नहीं किए हैं। वर्ष 2010 में इनकी लाॅन्चिंग हुई थी, लेकिन पांच साल बाद भी निर्माण पूरा नहीं हुआ है। दूसरी ओर ऐसे में बोर्ड इन प्रोजेक्ट का निर्माण पूरा करने के बाद कीमतों का पुनर्निधारण करेगा तो नई कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से जमीन की कीमत तय करेगा। लिहाजा, इन प्रोजेक्ट्स में फ्लैट की कीमतें दोगुनी होना तय है।
बोर्ड की कोई गलती नहीं
वर्ष 2009 में यह प्रोजेक्ट लाॅन्च हुआ था। टीएंडसीपी ने इसका ले-आउट ही कैंसिल कर दिया। अपील के बाद वर्ष 2013 में निर्णय हुआ। हमने तब भी लोगों से कहा था कि वे रुपए वापस ले लें या फ्लैट लें। अब फिर लोगों से यही कहा जा रहा है। इसमें बोर्ड की कहीं गलती नहीं है।
आरके मिश्रा, डिप्टी कमिश्नर, हाउसिंग बोर्ड, सर्किल-1