नई दिल्ली। सात साल पहले मुंबई में हुए आतंकी हमले को खुफिया विभाग की सबसे बड़ी नाकामी करार दिया गया था। मगर, अब देश की प्रमुख आतंरिक खुफिया सुरक्षा एजेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) में ऐसी चूक नहीं होने की उम्मीद है। कारण, इसमें शामिल होने के लिए विभिन्न विधाओं के जानकार युवाओं में आईबी की नौकरी के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है।
अब आइबी में उच्च शिक्षित पृष्ठभूमि जैसे एमबीए, एडवोकेट्स, आइटी स्पेशलिस्ट्स, बीई, बीटेक, एमटेक, अकांउटेंट्स, डॉक्टर फार्मा इंजीनियर्स के युवा लड़के-लड़कियां खुफिया विभाग में बतौर जासूस शामिल हो रहे हैं। हालांकि, अभी भी आइबी में अधिकारियों की संख्या काफी कम है। आइबी में स्वीकृत 26 हजार 867 पदों के विरुद्ध महज 18 हजार 795 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। यानी करीब 30 फीसद कर्मचारियों की कमी है।