ISIS: सारा खेल अमेरिका का

राकेश दुबे@प्रतिदिन। कट्टरपंथी इस्लामी संगठन आइएसआइएस की बढ़ती ताकत ने लगभग सभी यूरोपीय देशों के लिए अभूतपूर्व गंभीर संकट पैदा कर दिया है| अभूतपूर्व इसलिए कि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के गोरे नागरिक ईसाई धर्म को छोड़ कर इस्लाम कबूल कर बगदादी की नयी खिलाफत के नये निजाम की स्थापना के लिए कुर्बानी देने के लिए कमर कसते नजर आ रहे हैं|  दिक्कत यह है कि कुर्बानी के जज्बे के साथ खूंखार दहशतगर्दी के तेवर के साथ राज्यों की सुरक्षा की जोखिम भी जुडी है। 

जब एक देश के नागरिक दूसरे देश की जमीन पर तीसरे देश के नागरिकों को अमानवीय तरीके से मौत के घाट उतारते हैं या संपत्ति को तबाह करते हैं| तब यह विषय किसी अकेले राष्ट्र के हितों का नहीं रह जाता, बल्कि वैश्विक आयाम ले लेता है| इस संकट को सीरिया, इराक या लेबनान अथवा यमन और ट्यूनीशिया के खून-खराबे को मात्र पश्चिम एशिया के संकट या तेल की राजनीति के संदर्भ में देखना आत्मघातक ही साबित हो सकता है। 

दुनिया को दिखाने को अमेरिका ने बगदादी और उनके सामरिक ठिकानों पर लगातार हमले जारी रखे है, पर आइएसआइएस को खास नुकसान होता नहीं दिखता है|इस बात को नजरंदाज करना कठिन है, आखिर यह संगठन उस अलकायदा की ही उपज  है, जिसको पाकिस्तान की मदद से अमेरिका ने अफगानिस्तान से सोवियत सैनिकों को खदेड़ने के लिए जन्म दिया था| बाद में भले ही यह भस्मासुर उसी के लिए जानलेवा दुश्मन बन गया, इसके साथ अमेरिकी प्रशासन के रिश्ते दुश्मनी के साथ दोस्ती वाले रहे हैं| 

अमेरिका कभी अच्छे और बुरे तालिबान में फर्क करता है, तो कभी तालिबान को पनाह देनेवाले पाकिस्तान के साथ संयम और सहानुभूति से पेश आने की राय भारत को देता है|  विकट विडंबना यह है कि हमलावर बर्बर हिंसा से लबालब वहाबी इस्लाम के सबसे बड़े समर्थक सऊदी अरब का सबसे बड़ा संरक्षक अमेरिका ही है|  यह सोचना तर्कसंगत है कि तालिबानों और आइएसआइएस की साजिशों और हरकतों से वह पूरी तरह बेखबर कभी भी नहीं रहता|

मध्य पूर्व में अमेरिका के सामरिक हित सीरिया, इराक तक सीमित नहीं हैं |इजरायल की संवेदनशीलता कम नहीं| लीबिया, मिस्र, सूडान, ट्यूनीशिया, अल्जीरिया और कुवैत कम अस्थिर नहीं|  लेबनान, सोमालिया को भी इस सूची में शामिल किया जा सकता है| बात साफ है कि अमेरिका ने इसलामी आतंकवाद के बहाने जिन राज्यों को निशाने पर रख सिलसिलेवार तबाह किया है, वह लगभग सब के सब शीत युद्ध के युग में समाजवादी और रूस के पक्षधर रहे हैं|

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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