भोपाल। व्यापमं की पीएमटी में यदि सिलेक्शन नहीं हो पाया, तो डीमेट में छात्र का सिलेक्शन हो जाता था। इसका खुलासा डीमेट में चयनित उम्मीदवारों और उनके परिजनों के बयान से हुआ है। पीएमटी में सिलेक्शन कराने की रकम कम थी।
अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के सीएमडी डॉ. विनोद भंडारी ने पीएमटी-2012 में दस उम्मीदवारों को पास करने के एवज में व्यापमं के पूर्व सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिन्द्रा को 60 लाख रुपए दिए थे। इसमें छात्र देवेश हरगुनानी का नाम भी शामिल था। इसका खुलासा महिन्द्रा की हार्डडिस्क की एक्सल शीट से हुआ था। इस आधार पर एसटीएफ ने देवेश और उसके पिता इंदौर निवासी डॉ. मूलचंद हरगुनानी के बयान दर्ज किए। डॉ. मूलचंद ने बताया कि एमजीएम से जब वो एमबीबीएस कर रहे थे तो डॉ भंडारी उनके सीनियर थे। उनके बेटे देवेश ने साल 2012 में पीएमटी में शामिल होने के लिए आवेदन किया था। उन्होंने डॉ भंडारी से पूछा था कि वे देवेश का सिलेक्शन पीएमटी में कराना चाहते हैं। डॉ भंडारी ने उन्हें अपने जीएम और व्यापमं मामले के आरोपी प्रदीप रघुवंशी से मिलने को कहा था। प्रदीप से मिलने पर उसने देवेश से ओएमआर शीट के गोले खाली छोड़कर आने को कहा था। देवेश ने वैसा ही किया। परीक्षा के अगले दिन प्रदीप ने देवेश के पिता को फोन कर बीस लाख रुपए मांगे थे। देवेश के पिता ने इतने रुपए देने से इनकार कर दिया था। लिहाजा देवेश पास भी नहीं हो सका।
15 दिन बाद ही डीमेट में सिलेक्शन
देवेश ने एसटीएफ को दिए बयान में बताया है कि पीएमटी के बाद डीमेट आयोजित की गई थी। डीमैट के जरिए देवेश का सिलेक्शन डॉ भंडारी के ही अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के लिए हो गया था।
सिलेक्शन की होनी चाहिए जांच
सवाल इसी बात से खड़े होते हैं कि डीमेट हमेशा पीएमटी के बाद ही आयोजित की जाती है। दोनों परीक्षाओं के दलाल भी समान थे। दलालों का पहला प्रयास होता था कि वे रुपए लेकर फर्जी तरीके से छात्रों के सिलेक्शन पीएमटी में वे करा दें। यदि इसमें वे सफल नहीं हो पाते थे तो वे उन्हीं छात्रों के सिलेक्शन रुपए लेकर डीमेट में करा देते थे।
डॉ आनंद रॉय, मेडिकल एक्टिविस्ट
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