भोपाल। राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई एक्ट के उल्लंघन पर बुरहानपुर नगर निगम आयुक्त एसके रेवाल को 50 हजार रु. का हर्जाना देने को कहा है। सूचना आयुक्त आत्मदीप ने यह रकम 7 दिन में अपीलकर्ता राघवेंद्र श्रीवास्तव को देने का आदेश बुधवार को जारी किया।
यह पहला मौका है जब आयोग ने सूचना नहीं देने के दोषी किसी अफसर के खिलाफ इतनी बड़ी रकम के हर्जाने का फैसला सुनाया। मामला वर्ष 2011 का है, जब रेवाल शिवपुरी नगर पालिका में सीएमओ थे। वहां 6 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को रेगुलर कर दिया गया था।
जबकि पहले से अस्थाई तौर पर काम कर रहे अकांउटेंट राघवेंद्र श्रीवास्तव को रेगुलर नहीं किया गया। तब श्रीवास्तव ने लोक सूचना अधिकारी, सीएमओ रेवाल से जानकारी मांगी थी। श्रीवास्तव अपने केस में हाईकोर्ट में अपील करने वाले थे। आरटीआई के आवेदन के बावजूद उन्हें तय समय में जरूरी दस्तावेज नहीं दिए गए। इस वजह से वे हाईकोर्ट नहीं जा सके। उन्होंने 25 अप्रैल 2011 को जानकारी मांगी थी।
जब जानकारी नहीं मिली तो आयोग में अपील की। साढ़े तीन साल बीत गए। अब आयोग के आदेश पर वर्तमान लोक सूचना अधिकारी ने उन्हें जानकारी उपलब्ध कराई। सूचना आयुक्त ने 5 माह में 6 सुनवाई के बाद फैसले में कहा है कि अपीलार्थी की दलीलें न्यायोचित हैं।
न हाजिर हुए, न जवाब दिया
आयोग ने सुनवाई के दौरान पाया कि रेवाल ने एक्ट की पूरी तरह अनदेखी की। यहां तक कि आयोग को भी न जवाब दिया, न सुनवाई में आए। न गैरहाजिर रहने का कोई कारण बताया और न ही आदेश का पालन किया। फैसले में कहा गया है कि एसके रेवाल साफतौर पर धारा 7 के उल्लंघन के दोषी हैं। अत: वे 7 दिन में अपीलार्थी को एकाउंट पेयी चैक या डीडी से 50 हजार रु. अदा कर आयोग को बताएं। हर्जाना नहीं दिए जाने पर नगरीय प्रशासन आयुक्त एवं विकास को कार्रवाई के लिए कहा जाएगा। एक अन्य मामले में रेवाल पर 25 हजार रु. का जुर्माना अलग से लगाया है।
एक और मामले में जुर्माना
रेवाल ने शिवपुरी नगर पालिका में सीएमओ और लोक सूचना अधिकारी रहते हुए पहले भी आरटीआई मामलों को गंभीरता से नहीं लिया। वहीं के ऐसे ही मामले में उन पर राज्य सूचना आयोग ने 25 हजार रु. जुर्माना किया।