2 साल से 100 मार्कशीटों पर कुण्डली जमाकर बैठे हैं माशिमं के सचिव

भोपाल। यहां से शुरू होती है रिश्वतखोरी। एक काम जो 2 मिनिट में किया जाना चाहिए, 2 साल से लटकाकर रखा गया है। पूरे 100 स्टूडेंट्स की मार्कशीट को माशिमं के सचिव ने 2 साल से रोक रखा है। मामले को ना तो अप्रूवल दिया गया ना ही रिजेक्ट किया गया। आप इसे क्या कहेंगे ? हमारे हिसाब से तो रिश्वतखोरी के लिए बनाया जा रहा दवाब कहा जाना चाहिए।

मामला सागर के ज्ञानवीर कॉलेज का है। करीब 100 छात्रों ने यहां से डीएड का फार्म भरा था, परीक्षाएं भी हुईं और मार्कशीट भी मिली, लेकिन वापस मांग ली गई। छात्र दुष्यंत दुबे, रूपम मिश्रा, हरपाल लोधी, निरंजन राजपूत, केशव सहित अन्य ने कहा है कि उन्होंने साल 2013 में ज्ञानवीर कॉलेज से डीएड की परीक्षा पास की थी। छात्रों का परीक्षा परिणाम और मार्कशीट भी समय से आ गई थी। कॉलेज प्रबंधन ने इन्हें छात्रों में बांट भी दिया था। कुछ दिन बाद कॉलेज प्राचार्य ने छात्रों से यह कहकर मार्कशीट वापस ले ली थीं कि उनमें नामांकन क्रमांक दर्ज नहीं है। सभी छात्रों ने अंकसूचियां वापस दे दी थीं। इसके बाद से कॉलेज प्रबंधन उन्हें अंकसूचियां वापस नहीं दे रहा है।

प्राचार्य से मार्कशीट वापस मांगे जाने पर जवाब दिया जाता है कि अंकसूचियां माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल भेजी गई हैं। वहां से अभी तक नामांकन क्रमांक दर्ज होकर मार्कशीट वापस नहीं आई हैं। जब आ जाएंगी तो छात्रों को वापस दे दी जाएंगी।

यह रहा खुलेआम मक्कारी का ऐलान
काॅलेज को नामांकन क्रमांक लेने के बाद ही छात्रों को परीक्षा में शामिल करना था। यह कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही है। नामांकन के बिना ही छात्रों के परीक्षा फॉर्म भरने तथा परीक्षा दिलाने के कारण ऐसा हुआ है। अब नामांकन क्रमांक तो छात्रों को नहीं मिलेंगे। इसकी जगह पर मंडल द्वारा एन/ए लिखा जाएगा। इसमें वक्त लगेगा।
सुरेश कुमार चौरसिया, पीआरओ माध्यमिक शिक्षा मंडल, भोपाल
महोदय ने यह नहीं बताया कि कितना वक्त लगेगा। 2 साल तो लग चुके हैं। फिर फैसला क्यों नहीं हो रहा। किसका इंतजार है।

बेपरवाह कॉलेज प्रबंधन
बिना नामांकन क्रमांक के रिजल्ट घोषित नहीं होता। छात्रों की मार्कशीट पर मंडल को नामांकन दर्ज करना थे। दो साल में हम लोग मंडल के भोपाल और सागर ऑफिस के अफसरों को 20 से 30 पत्र लिख चुके हैं। छात्र जनसुनवाई में भी शिकायत कर चुके हैं। कोई समस्या दूर करने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है। गलती मंडल की है। अब हम लोग मंडल के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं।
मनीष जैन, पीआरओ, ज्ञानवीर कॉलेज, सागर
कॉलेज ने भी कोई डेडलाइन नहीं दी। फीस समय पर ली, परंतु मार्कशीट समय पर नहीं दी। मंडल के नाम पर अपनी जिम्मेदारी से लगातार भाग रहा है कॉलेज प्रबंधन। अब तक मामला हाईकोर्ट पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन कॉलेज प्रबंधन को क्या। फीस मिल गई। खेल खतम। 

फाइल पर सचिव महोदय कुण्डली जमाए बैठे हैं
ज्ञानवीर कॉलेज की मार्कशीट आ गई हैं। हमने नस्ती माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव को आगे की कार्यवाही के लिए भेजी है। इसमें कितना वक्त लगेगा यह नहीं बताया जा सकता। मंडल में कोई भी अफसर इस मामले की स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाएगा कि आखिर कब तक मार्कशीट कंपलीट होंगी।
अंबिकेश त्रिवेदी, डीलिंग क्लर्क, माध्यमिक शिक्षा मंडल, भोपाल

कुल मिलाकर पूरा माशिमं एकजुट है। वक्त लगेगा ही क्यों, ऐसा क्या उलझा हुआ है जो 2 साल हो गए। यह इसे सरकारी गुण्डागर्दी नहीं कहा जाना चाहिए। 100 स्टूडेंट्स का करियर बंधक बना लिया गया है। 2 साल से लगातार जारी है। ऐसे मामलों में जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए। कब तक सहन करना होगी इस तरह की सरकारी गुण्डागर्दी ? 

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