भोपाल। मनमानी योजनाएं और बेतुके बदलावों के कारण भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) की साख तेजी से गिर रही है। हालात यह है कि बीडीए के कई सारे प्रोजेक्ट खाली पड़े हुए हैं। ग्राहक ही नहीं मिल पा रहे हैं। बिल्डर्स और प्रॉपर्टी डीलर्स के माध्यम से बीडीए प्रॉपर्टी बेचने की कोशिश कर रहा है, बावजूद इसके कोई खरीदने को ही तैयार नहीं।
लॉयर्स चेंबर की स्थिति
लायर्स चेंबर में वर्ष 2010 से बुकिंग शुरू हुई थी। अरेरा हिल्स पर अदालत के पास ढाई सौ से अधिक चेंबर्स बनाए जा रहे हैं। इनकी बुकिंग के लिए कई बार आवेदन बुलाए जा चुके हैं। इसके बाद भी बुकिंग पूरी नहीं हो पा रही है। अब भी 136 लायर्स चेंबर खाली पड़े हैं।
यह है वजह
यहां पांच मंजिला भवन में लॉयर्स चेंबर बनाए गए हैं, जो वकीलों को पसंद नहीं आ रहे। वकीलों के पास पहले से ही ऑफिस हैं। इसके अलावा इनकी कीमत भी अधिक है। 100 वर्ग फुट से 250 वर्ग फुट के लॉयर्स चेंबर की कीमत 10 से 30 लाख तक है। वकील खरीदने को तैयार ही नहीं।
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महालक्ष्मी परिसर
बीडीए ने महालक्ष्मी परिसर योजना वर्ष 2012 में लांच की थी। यहां बीडीए वन बीएचके, टू बीएचके और थ्री बीएचके के करीब 800 फ्लैट बना रहा है। पहले चरण में 400 फ्लैट के लिए आवेदन आए थे, जिनमें से बमुश्किल 200 की बुकिंग हुई थी। इसके बाद से बुकिंग नहीं हो रही है। इससे यह प्रोजेक्ट पिछड़ता जा रहा है।
यह है कारण
पिछली बार की बुकिंग में स्थिति ठीक रही थी, लेकिन बुकिंग के बाद किश्तों पर ब्याज लगाकर फ्लैट की कीमत बढ़ा दी थी। इससे दूसरी बार की बुकिंग प्रभावित हो गई। अब यह फ्लैट करीब 4 लाख तक महंगे भी हो गए हैं। इसके चलते बुकिंग नहीं हो पा रही है। अगर यही स्थिति रही तो यह प्रोजेक्ट और महंगा हो जाएगा।
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सलैया प्रोजेक्ट अटका
बीडीए का सलैया प्रोजेक्ट अटक गया है। नियमों की अनदेखी कर कलियासोत नदी के किनारे तक निर्माण कार्य किया जा रहा था। इससे एनजीटी ने प्रोजेक्ट के निर्माण पर रोक लगा दी। इस रोक के बाद उन 1 हजार से अधिक आवंटियों की दिक्कत बढ़ गई, जो बुकिंग करा चुके हैं और 80 फीसदी राशि भी बीडीए को दे चुके हैं।
100 फीसदी राशि जमा, फिर भी पजेशन नहीं
गोंदरमऊ में बीडीए ने विनायक नगर, महर्षि पतंजलि प्रोजेक्ट के तहत करीब 1100 ईडब्ल्यूएस, एलआईजी फ्लैट और भवन बनाए हैं। इन खरीददारों से बीडीए 100 फीसदी राशि 4 महीने पहले ले चुका है। इसके बाद भी आवंटियों को पजेशन नहीं दे पा रहा है। इसकी वजह पानी सप्लाई की व्यवस्था न होना बताई जा रही है।