भोपाल। भोपाल के बिल्डर्स की प्रतिनिधि संस्था क्रेडाई ने मप्र सरकार के सामने स्पष्ट कर दिया है कि वो मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'सबके लिए आवास' में कतई इंट्रस्टेड नहीं हैं। वो बिना मुनाफे वाला कारोबार करने के लिए तैयार नहीं हैं। बुधवार को हाउसिंग बोर्ड में हुई बैठक में बिल्डरों ने यह बात कही।
सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) में इस योजना का क्रियान्वयन करना चाहती है, लेकिन बिल्डर्स ने इस बहाने सरकार को प्रेशर में लेना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यदि शहर से दूर जमीन मिलती है तो खरीदार नहीं मिलेंगे। शहर में जमीन की कीमतें बहुत ज्यादा है।
सामने रखीं शर्तें
बिल्डरों की प्रतिनिधि संस्था क्रेडाई के प्रतिनिधियों ने बैठक में बताया कि यदि सरकार सूखी सेवनियां में जमीन देगी तो वहां खरीदार कैसे मिलेंगे? शहर में उपलब्ध जमीन को ही अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए उपयोग किया जाए। यहां एफएआर, कमर्शियल लैंडयूज जैसे इंसेंटिव बिल्डरों को मिलेंगे तो प्रोजेक्ट मुफीद रहेंगे। बोर्ड के चीफ आर्किटेक्ट एसएस राठौर ने योजना का प्रेजेंटेशन दिया।
बिना मुनाफे, व्यापार नहीं
हम सरकार के साथ हैं, लेकिन कोई भी व्यापार बगैर मुनाफे या खरीदार के नहीं चलता। सरकार जितना ज्यादा प्रोजेक्ट में वायबिलिटी लाएगी, उतने ही ज्यादा मकान बनेंगे।
वासिक हुसैन, अध्यक्ष, क्रेडाई