आनंद ताम्रकार/बालाघाट। सरकारी खजाने की सुरक्षा के लिए शुरू किया गया अभियान एक पत्रकार की जान पर बन आया। निमर्म हत्या से पहले उसे कितनी यातनाओं से गुजरना पड़ा, यह जानकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। बालाघाट के पत्रकार स्व.संदीप कोठारी ने बार बार दुष्कार्म किये जाने के झूठे आरोप लगाये जाने से परेशान होकर बालाघाट जिला प्रशासन को विगत 7 अप्रेल 2015 को जन सुनवाई के दौरान स्वयं को नपुसंक बना दिये जाने की गुहार लगाई थी।
स्व.संदीप ने अतिरिक्त जिलाधीश श्री दिलीप कापसे को प्रस्तुत किये गये आवेदन पत्र में इस बात का उल्लेख किया था कि कटंगी के निवासी जितेन्द्र अग्रवाल, विशाल कोठारी, राकेश नर्सवानी, योगेन्द्र मिश्रा, ब्रजेश डहरवाल मिलकर षडयंत्र पूर्वक उस पर झूठे प्रकरणों में आरोपी बना रहे है।
उन्होने यह भी उल्लेख किया था कटंगी, तिरोडी, महाराष्ट के गुबारवाही, दोहनीवाड़ा, बेला, नागपुर के पुलिस थानों में अपनी महिला साथी से झूठे दुष्कर्म करने का आरोप लगवाते है। ऐसे ही एक झूठे दुष्कर्म के आरोप में वह 18 माह की सजा भुगत चुका है।
जिस महिला ने पहले छेडखानी और दुष्कर्म का आरोप लगाया था न्यायालय से जमानत मिलने पर वहा बाहर आया तो उसी महिला ने फिर से दुष्कर्म का आरोप लगा दिया। यह उल्लेखनीय है कि स्व. संदीप ने कटंगी शहर जमीनों पर अवैध कब्जा कर कालोनी निर्माण, मैग्नीज का कारोबार करने वाले लोगों का एक गिरोह उस पर झूठे आरोप लगा रहा है और मेरी एवं परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल कर रहे है आरोपी बनाये जाने पर पुलिस और न्यायालय में बहुत पैसा खर्च हो रहा है।
इन विसंगतियों के चलते 2 बार मुझे जेल जाना पड़ चूंकि फिर से मुझे दुष्कर्म के झूठे आरोप में आरोपी ना बनाया जा सके और मुझे पुन जेल ना जान पडे इस लिये उससे पहले मुझे नपुंसक बना दिया जाये।
अतिरिक्त जिलाधीश श्री दिलीप कापसे ने संदीप कोठारी द्वारा जनसुनवाई में प्रस्तुत किये इस आवेदन पत्र को जांच एवं कार्यवाही के लिये पुलिस अधीक्षक कार्यालय को भेज दिया था।
इस संबंध में अतिरिक्त जिलाधीश श्री दिलीप कापसे ने आवेदन पत्र प्राप्त होने की पुष्टि करते हुये अवगत कराया की किसी को नपुसंक बना दिये जाने के लिये जिला प्रशासन के पास कोई अधिकार नही है।
पुलिस अधीक्षक श्री गौरव तिवारी ने स्पष्ट किया की पुलिस हर बिंदू पर जांच कर रही है ताकि संदीप कोठारी की हत्या में संलिप्त कोई भी आरोपी बच ना सके।