ग्वालियर। व्यापमं फर्जीवाड़े में SIT की जांच प्रक्रिया पर दोहरेपन के आरोप लगने लगे हैं। मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय की ग्वालियर खंडपीठ ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गुलाब सिंह की अग्रिम जमानत खारिज कर दी है। उनके दोनों बेटों पर इनाम घोषित किया जा चुका है। खुद गुलाब सिंह पर भी इनाम का प्रस्ताव SIT एसपी को भेज चुकी है, लेकिन वह प्रस्ताव भी सप्ताह भर से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। इसके अलावा मामले से जुड़े कई और रसूखदार भी SIT की पकड़ से बाहर हैं।
गुलाब सिंह की गिरफ्तारी क्यों नहीं
हाल ही में भिंड निवासी नवीन शर्मा ने पूछताछ में खुल कर गुलाब सिंह किरार के बेट शक्ति सिंह के चयन के लिए गुलाब सिंह किरार से 30 लाख के लेनदेन की बात स्वीकार की है। इसके बावजूद SIT ने पितापुत्र को गिरफ्तार नहीं किया है। SIT ने गुलाब सिंह की तो तलाश भी शुरू नहीं की है, जबकि शक्ति सिंह की तलाश शुरू करने में इतना वक्त लगाया कि उसे अंडरग्राउंड होने का मौका मिल गया। बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गुलाब सिंह के बीच बड़ी नजदीकी रिश्तेदारी है।
रसूखदारों को जमानत का मौका देती है SIT
गुलाब सिंह के अलावा जब भी किसी रसूखदार के नाम का खुलासा हुआ, SIT की कार्रवाई की चाल ने उसे बचाव के भरपूर मौके दिए। जबकि सामने आए दलाल, सॉल्वर और फर्जी तरीके से सिलेक्ट हुए विद्यार्थियों पर कार्रवाई करने में SIT ने कतई सुस्ती नहीं दिखाई। अब तक गिरफ्तार हुए लोगों में वो आरोपी शामिल हैं, जो खुद सॉल्वर या एजेंट रहे थे लेकिन इस मामले में धुरी के तौर पर जुड़े बडे नामों को आरोपी तो बना दिया गया है, लेकिन गिरफ्तारी में देरी की जा रही है। जिसका फायदा उठा कर ये आरोपी अपनी जमानत के लिए वक्त व मौके तलाश पा रहे हैं।
दागी का राज्यमंत्री दर्जा क्यों है बरकरार
SIT को सरकार से राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त गुलाब सिंह किरार व उनके दोनों बेटं की तलाश है। अफसर भिंड से भोपाल-दिल्ली तक दबिश भी दे रहे है, पोस्टर चस्पा किए जा रहे हैं, लेकिन अब भी वह राज्य मंत्री हैं। सरकार ने अब तक उनका दर्जा समाप्त नहीं किया है।
दूसरी अोर इसी एफआईआर में शामिल दूसरे महत्वपूर्ण नामों की तरफ भी एसआईटी का कोई ध्यान नहीं है। व्यापमं मामले में आरोपी गुलाब सिंह व उनके दोनों बेटे शक्ति सिंह व शिवांशु आज भी एसआईटी की टीम के हाथ नहीं लगे। एसआईटी जिस एफआईआर पर गुलाब सिंह की तलाश कर रही है उसी एफआईआर में सुधीर सिंह भदौरिया, डॉ.रश्मि सिंह परिहार, हवलदार वीर बहादुर सिंह उसकी बेटी शुभी भदौरिया, गरिमा, गुंजन के नाम भी नाम हैं। इस एफआईआर के इन आरोपियों की तलाश में एसआईटी ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
रिचा जौहरी पर अतिरिक्त ढिलाई
जबलपुर के मशहूर डॉक्टर मुकेश जौहरी की बेटी रिचा को बड़े दबाव में SIT ने उसे मौका दिया, कि वह जांच में सहयोग करने पेश हो। रिचा पेश हुई, लेकिन इस दौरान जैसे ही उसकी जमानत याचिक खारिज हुई, वह SIT को चकमा दे फरार हो गई। पूछताछ में भी SIT रिचा से कुछ भी उगलवा नहीं पाई।
महिपाल सिंह व मोनिका
पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के बाद ये ताफ हो गया कि पुलिस के DSP महिपाल संह ने बेटी मोनिका के चयन के लिए मोटी रकम अदा की। इसके बाद भी उन दोनों की गिरफ्तारी में इतनी ढील दी गई कि वो जोड़तोड़ कर सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक का आदेश ले आए।
अतिबल सिंह व अरुण यादव
महिपाल सिंह की तरह नगर निगम के अधिकारी अतिबल सिंह व उनके बेटे को तलाशने में SIT नाकाम रही और वो भी गिरफ्तारी पर रोक का आदेश ले आए।
सुधीर भदौरिया
व्यापमं द्वारा आयोजित मेडिकल प्री-पीजी-2011 में मंडल के पूर्व नियंत्रक सुधीर भदौरिया, ऱश्मि परिहार, गौरव भदौरिया, वीरबहादुर सिंह और बीआर श्रीवास्तव भी SIT की सूची में शामिल हैं। लेकिन इनकी अब तक खोज ही नहीं हो पाई है।
राशिद खां
प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेष के साथ राशिद खां का भी नाम संदिग्धों की सूची में शामिल है। शैलेष की संदिग्ध मौत के बाद SIT राशिद को भी तलाश नहीं कर सकी है।