सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। शासन द्वारा मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ के माध्यम से समर्थन मुल्य पर खरीदी गई धान को राईस मिलर्स से कस्टम मिलिंग करवाकर नागरिक आपूर्ति निगम को चावल की आपूर्ति की जा रही है। जिसकी आड में कस्टम मिलर्स द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम को अमानक, गुणवत्ता विहीन खाने के अयोग्य चांवल की आपूर्ति कर रहे हैं।
इस कारगुजारी में कस्टम मिलर्स, प्रशासन एवं आपूर्ति निगम के आला अफसरों की खुली संलिप्तता दिखाई दे रही है, इन्ही विसंगतियों के चलते बालाघाट जिले से प्रदेश के अन्य जिलों में भेजे गये चावल को लेने से इंकार कर उसे बालाघाट वापस भेजने की कवायद की जा रही है।
ऐसा ही एक मामला बालाघाट जिले से विदिशा भेजे गये गुणवत्ता विहीन अमानक और खाने के अयोग्य चावल को वहां के नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक ने मनाही कर दी है और इसकी खबर से आपूर्ति निगम के आला अफसरों को अवगत करा दी है मामले का खुलासा होते ही नीचे से लेकर उपर तक हडकंप मच गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 40 हजार क्विंटल चावल से भरी लगभग एक लाख बोरे अमानक स्तर के पाये गये हैं जो चांवल कटंगी, वारासिवनी, बालाघाट, लांजी और महाराष्ट्र के गोंदिया के कस्टम मिलर्स ने सप्लाई किया था, जानकारी के अनुसार इस संबंध में 30 राईस मिल मालिकों को नोटिस जारी कर माल वापस लेकर उसके एवज में निर्धारित गुणवत्ता और मानक स्तर का चांवल प्रदाय करने के निर्देष दिये हैं।
इस मामले के प्रकाश में आते ही कस्टम मिलर्स से चावल लेने पर अस्थाई रोक लगाते हुये उन्हे चावल की क्वालिटी में सुधार कर प्रदाय किये जाने की हिदायत दी गई है, इस भारी कमीशन की आड में चावल प्रदाय करने वाले कस्टम मिलर्स एवं आपूर्ति निगम के अधिकारियों की सांठगांठ से चल रहे इस गोरखधंधे की उच्च स्तरीय जांच की जाये तो व्यापम जैसा घोटाला उजागर होगा।
उल्लेखनीय है की पिछले 1 माह पूर्व पत्रकारों के एक दल ने बैहर तहसील के वनांचल क्षेत्र में वितरित किये जाने वाले सरकारी दुकानों में पहुंचकर जब देखा गया तो वहां अमानक एवं गुणवत्ताविहीन खण्डा किस्म के चांवल पाये गये जो खाने योग्य नही था, इस मामले को जब उजागर किया गया तो जिला प्रशासन हरकत में आया और राईस मिलों एवं नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों की छानबीन करवाई और गुणवत्ताविहीन चांवलों पर पाबंदी लगवाई।