इंदौर। सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार ने गांवों में स्कूल निर्माण के लिए करोड़ों रुपए दिए। राज्य शिक्षा केंद्र के जरिये ये पैसा ग्राम पंचायतों के खाते में पहुंचा। सरपंच और सचिव अपने संयुक्त बैंक खाते में आए इस पैसे को निकालकर हजम कर गए। न स्कूल भवन बने, न पैसा वापस आया। इंदौर जिले में इस तरह आठ साल में 1 करोड़ से अधिक का गबन हो गया।
अब सरकार प्रशासनिक अफसरों के जरिये यह पैसा वसूलने की कोशिश कर रही है, लेकिन अधिकांश पुराने सरपंच-सचिव पैसा लौटाने को तैयार नहीं हैं। बताया जाता है कि कुछ सरपंच अधिकारियों पर नेताओं का दबाव भी बना रहे हैं ताकि उनसे वसूली न हो।
पंचायतों के बैंक खातों में सरकारी स्कूलों के निर्माण के लिए इंदौर जिले में करोड़ों स्र्पए आए। इनमें से 32 ग्राम पंचायतों में सरपंच-सचिवों ने कोई काम नहीं कराया और पैसा निकालकर सीधे हजम कर गए।
मामला सामने आने के बाद राज्य शिक्षा केंद्र ने जिला शिक्षा केंद्र को निर्देश दिए कि इस मामले में संबंधित सरपंच और सचिवों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। जिला पंचायत ने सारे मामलों में कार्रवाई के लिए एसडीएम को लिखा। संबंधित एसडीएम की ओर से सरपंच और सचिवों को नोटिस जारी कर गबन की राशि की वसूली की जा रही है। अभी चार-पांच पंचायतों से ही वसूली हो पाई है।
कई जगह अधिकांश मजे की बात है कि सरकारी धन खा चुके इन पंचायत प्रतिनिधियों का सरकार भी कुछ नहीं बिगाड़ पा रही है। इंदौर की गारी पिपलिया, महू के चोरल, मेंडल, चोरल, खुर्दा पंचायत आदि के केस अलग-अलग एसडीएम कोर्ट में चल रहे हैं। वसूली के लिए नोटिस जारी हुए हैं लेकिन सरपंच बदल जाने से न तो स्र्के हुए काम पूरे हो रहे हैं, न गबन के पैसे की वसूली हो रही है।
इन पंचायतों ने नहीं किए काम
इंदौर विकासखंड: असरावद बुजुर्ग, गारी पिपलिया, रोजड़ी, तिल्लौर बुजुर्ग,
महू विकासखंड: बाईग्राम, सिहोद, कांकरिया, चोरल, गोकन्या कुंड, खुर्दा, छापरिया, राजपुरा, भाटखेड़ी, पिगडम्बर।
सांवेर: राम पिपलिया, बालोदिया टाकुन, जिंदाखेड़ा, कछालिया, पोटलोद, कजलाना, हथुनिया, गुलावट, बजरंग पालिया, कदवा।
देपालपुर: मूरखेड़ा, बनियाखेड़ी, पिटावली, तकीपुरा, बेगंदा, कराड़िया, जलोदिया पार, अत्याना।
इनका कहना है
सर्व शिक्षा अभियान के तहत कुछ स्कूलों में स्वीकृत निर्माण नहीं हो पाए। अधिकांश मामले पुराने हैं जिनमें गबन हुआ है। गबन के केस में राशि की वसूली के लिए संबंधित एसडीएम को केस सौंपे जा चुके हैं। आगे की कार्रवाई वहीं हो से रही है।
- आशीषसिंह, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत