मालवा के खेतों में लहराता सोयाबीन बर्बाद हो गया

इंदौर। मालवा की कृषि अर्थव्यवस्था का आधार इस बार दरकने की कगार पर है। सोयाबीन फसल में फल नहीं लगने से किसानों की उम्मीद मर रही है। ऐसे में कुछ किसानों ने पकने से पहले ही फसल काटना शुरू कर दिया है। बोवनी के ढाई माह तक इंतजार करने के बाद आखिर उनकी उम्मीद टूट चुकी है। इंदौर जिले के पिपल्दा और आसपास के गांवों में किसानों ने सोयाबीन फसल काटकर खेत खाली करना शुरू कर दिया है।

इस साल मानसून के शुरुआती दौर में बोवनी के बाद बारिश की लंबी गैप के कारण फसलों को झटका लगा। बाद में लगातार बारिश हुई, जिससे सोयाबीन फसल को फायदे की जगह नुकसान ही हुआ। कई खेतों में पानी भर गया। सोयाबीन पर फल और फूल लगने का समय निकल गया। कई गांवों में सोयाबीन पर पत्ते तो भरपूर नजर आ रहे हैं, लेकिन फलियां गायब हैं। उम्मीद खो चुके पिपल्दा गांव के किसान राजू बाबूलाल गोस्वामी ने अपनी 4 बीघा की सोयाबीन फसल बुधवार को काट डाली। गांव के किशन मंडलोई का कहना है कि अब सोयाबीन फसल से पैदावार की आस नहीं रही। ऐसी फसल को रखने से क्या फसल फायदा। मैं भी कुछ दिन में सोयाबीन काटूंगा। किसानों का मानना है कि वक्त बीत चुका है। फसल की हालत ऐसी नहीं है कि इससे कुछ हासिल होगा।

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