जबलपुर। यहां हुए अनाज घोटाले की जांच ही पूरी नहीं हो पाई और अब सबूत भी नहीं बचे। वेयर हाउस में भरा हुआ घटिया क्वालिटी का अनाज लगातार कम होता जा रहा है। वो लगातार उपयोग में लिया जा रहा है। प्रशासनिक मशीनरी मात्र 5 वेयर हाउसों की जांच कर पाई, 300 से ज्यादा वेयर हाउस छूट गए। इनमें भरा हुआ घटिया अनाज वितरित किया जा रहा है।
जांच में वेयर हाउस से लेकर खरीदी केंद्र के बीच होने वाले घोटाले सामने आने के बाद दर्जनों एफआईआर दर्ज की गईं, लेकिन प्रशासन इनसे करोड़ों की रिकवरी नहीं कर सका। इतना बड़ा रैकेट इस खाद्यान्न के खेल में काम करता रहा और अफसर कुछ ठोस कार्रवाई नहीं कर सके। चार से पांच वेयर हाउस की ही जांच की गई। 300 से ज्यादा वेयर हाउस को छोड़ दिया गया। अब यदि जांच को नए सिरे से शुरू भी कर दिया जाए तो कुछ नहीं हो सकता है, क्योंकि माल पहले ही उपयोग किया जा चुका है।
तीन तरह से होता रहा खेल
1 खरीदी केंद्र पर ग्रेड तय करने वाले निरीक्षक माल खरीदते हैं। केंद्र से गेहूं-धान का परिवहन करने वाले ट्रक में माल अच्छा चढ़ाया गया लेकिन बीच रास्ते में इसी अच्छे माल की जगह घटिया माल लोड कर वेयर हाउस में पहुंचाया जाता रहा। किसी को भनक तक नहीं लगी और माल भी सुरक्षित कर दिया गया।
2 वेयर हाउस में माल पहुंचने के बाद उस माल की जगह दूसरे बोरे रख दिए जाते थे। इस खेल में वेयर हाउस और जांच करने वाले दोनों के शामिल होने के मामले सामने आ चुके हैं।
3 खरीदी केंद्र से ट्रकों में लोड होने वाले नंबर 1 के माल को सीधे दूसरे जिलों और राज्यों में भेज दिया जाता था। इन ट्रकों की एंट्री वेयर हाउस में कर दी जाती थी। ऐसे कई ट्रक खाद्य विभाग पकड़ चुका है।
ये फंसे थे और ऐसे हुआ घोटाला
जिले की सरौंद, लुहारी, बोरिया, सरौंद मझगंवा, सकरा, घुंसौर, तिलहरी, पाटन समितियों से 2870 क्विंटल गेहूं का परिवहन करने वाले 12 ट्रक फर्जी निकले।
इन ट्रकों में दर्ज नंबर की जांच परिवहन विभाग से कराई गई। वहीं परिवहन ठेकेदारों से उनके नंबर पूछे गए, जिसमें खुलासा हुआ कि परिवहन ठेकेदार के पास इन नंबरों के ट्रक ही नहीं हैं, लेकिन 12 ट्रकों के फर्जी नंबर डालकर गेहूं का परिवहन कर दिया गया।
परिवहन ठेकेदार की जांच रिपोर्ट में ऐसा टीप दर्ज की गई कि 9 हजार क्विंटल गेहूं सड़क पर परिवहन के दौरान गिर गया।
वेयर हाउस, एफसीआई से समितियों को अमानक गेहूं वापस एवं मौके पर अमानक किए गए गेहूं की मात्रा ही 5850 क्विंटल थी, लेकिन ये संख्या बढ़ सकती थी यदि प्रशासन सभी वेयर हाउस और समितियों की जांच करता।
समितियों ने खुद ही गेहूं परिवहन कराया, लेकिन ऐसे 3372 क्विंटल गेहूं की जानकारी नहीं दी जा सकी।
भंडारण केंद्र में परिवहन ठेकेदार ने 6079 क्विंटल गेहूं जमा कराया, लेकिन इतने गेहूं के प्रमाण वाले दस्तावेज पेश नहीं किए जा सके।
भंडारण केंद्र में जमा हो जाने के बाद 1520 क्विंटल गेहूं वेयरहाउस वालों को कम मिला।
समितियों ने पूरा गेहूं खरीदा जाना बताया, लेकिन सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन से 1731 क्विंटल गेहूं के स्वीकृति पत्रक जारी नहीं हो सके।
अब जांच का कोई फायदा नहीं
पिछले कुछ सालों में जो भी होता आया वो इस साल नहीं होने दिया गया। पूरी निष्पक्षता के साथ खाद्यान्न की खरीदी और भंडारण कराया गया। अफसरों की पूरी जिम्मेदारी होती है कि बेहतर क्वालिटी का गेहूं-धान खरीदा जाए। यहां तक की वेयर हाउस में भी जांच होती है। अब जांच का कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि माल का उपयोग लगातार होता रहता है।
शिवनारायण रूपला, कलेक्टर