एक अधिकारी, केबीनेट पर भारी

भोपाल। एक वक्त हुआ करता था मंत्रियों की चिट्ठियां आॅफिसों में हड़कंप मचा दिया करतीं थीं परंतु अब हालात काफी बदल गए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने केबीनेट मंत्री उमाशंकर गुप्ता का एक पत्र तब नस्तीबद्ध कर दिया जब वह मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से फारवर्ड किया गया था। एक अधिकारी केबीनेट पर भारी हो गया, वह भी तब जब उस पर आधा दर्जन से ज्यादा भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

यह मामला जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के सीधे संघर्ष का है। मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि सामान्य प्रशासन विभाग में उप सचिव रहे बीआर विश्वकर्मा को दिया गया 'सुशील चंद वर्मा" 25 हजार का पुरस्कार वापस लिया जाए, क्योंकि वो अवैध नियुक्तियों एवं भ्रष्टाचार के कई मामलों में आरोपी है। मंत्रजी ने विश्वकर्मा के कारनामों की पूरी जांच कराने का भी आग्रह किया था।

इस मामले में जब मुख्यमंत्री सचिवालय ने जानकारी मांगी तो सामान्य प्रशासन विभाग ने ऐसी कार्रवाई से इंकार करते हुए बताया कि मंत्री का पत्र नस्तीबद्ध कर दिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग का कहना है कि पुरस्कार बेहतर काम करने के लिए दिया जाता है। कर्मचारी-अधिकारियों का चयन वरिष्ठ अफसरों की कमेटी करती है। विश्वकर्मा को अन्य चार अधिकारियों के साथ उत्कृष्ट सेवा के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। ऐसे में यह कैसे वापस ले सकते हैं।

  • इन कारनामों का कलंक लगा है विश्वकर्मा के माथे पर
  • विश्वकर्मा ने उप सचिव के पद पर रहते हुए चतुर्थ श्रेणी के पदों पर की अवैध नियुक्तियां की।
  • विश्वकर्मा ने अपने मामले की जांच की फाईल गुम कराई है, इसकी जहांगीराबाद थाने में रिपोर्ट है।
  • नि:शक्तजनों की भर्ती में आरक्षण का पालन नहीं किया।
  • 56 भृत्यों की भर्ती में महिला आरक्षण का पालन नहीं किया।
  • अधीक्षण के प्रभार में रहते हुए लाखों स्र्पए की खरीदी में गड़बड़ी की।
  • विश्वकर्मा के खिलाफ विधानसभा के आश्वासन भी लंबित हैं।

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