राकेश दुबे प्रतिदिन। विश्व आर्थिक मंच डब्लूईएफ. द्वारा हाल ही में जारी मानव पूंजी प्रतिवेदन 2015 के अनुसार 124 देशों की सूची में भारत मानव पूंजी सूचकांक में 56.62 अंक के साथ 100वें स्थान पर है। डब्लूईएफ. द्वारा तैयार की गई मानव पूंजी रिपोर्ट के अनुसार भारत न केवल ब्रिक्स देशों के अपने सभी समकक्षों रूस, चीन, ब्राजील तथा दक्षिण अफ्रीका से नीचे है बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के उसके पड़ोसी देशों श्रीलंका, भूटान तथा बांग्लादेश से भी नीचे है। मानव पूंजी सूचकांक में चोटी के १० देशों में ८५.७८ अंक प्राप्त करके फिनलैंड पहले स्थान पर है, जिसके बाद क्रम से नार्वे, स्विटरजरलैंड, कनाडा, स्वीडन, डेनमार्क, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड तथा बेल्जियम हैं। चीन ६७.४७ अंकों के साथ ६६ वें स्थान पर है।
विश्व आर्थिक मंच ने मानव पूंजी सूचकांक को ४६ संकेतकों के आधार पर तैयार किया है। यह मानव पूंजी सूचकांक मानव पूंजी के विकास और उसके उपयोग की स्थिति दर्शाता है। विश्व मानव पूंजी प्रतिवेदन से विभिन्न देशों में शिक्षा, कौशल, रोजगार की स्थिति तथा कार्य करने के वातावरण का पता चलता है। विश्व आर्थिक मंच का जोर प्रतिभा निखारने एवं उसके उपयोग पर है।
जिनेवा स्विटरलैंड स्थित वल्र्ड इकोनोमिक फोरम डब्लूईएफ या वीफोरम के नाम से लोकप्रिय विश्व आर्थिक मंच की स्थापना प्रो. क्लाज श्वाब द्वारा पब्लिक प्रायवेट सहयोग के माध्यम से दुनिया की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए १९७१ में युरोपियन मेनेजमेंट एसोसिएशन के नाम से की गई थी। इसके क्षेत्र विस्तार के बाद१९८७ में इस संस्था को वर्तमान नाम दिया गया। विश्व आर्थिक मंच द्वारा कौशल, रोजगार एवं मानव पूंजी के विकास के महत्व को देखते हुए मानव पूंजी सूचकांक तैयार किया जाता है।
मानव पूंजी प्रतिवेदन २०१३ के मानव पूंजी सूचकांक के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार तथा परिवेश, ये चार स्तम्भ थे। इन चारों का मानव पूंजी सूचकांक में बराबर का २५ प्रतिशत भार था।२०१३ में १२२ देशों की सूची में भारत ७८ वें स्थान पर था। भारत का स्थान शिक्षा सूचकांक में ६३ वां, स्वास्थ्य सूचकांक में ११२ वां, रोजगार सूचकांक में ४९ वां तथा परिवेश सूचकांक में ६७ वां स्थान था। २०१५ में भारत मानव पूंजी सूचकांक में ७८ वें स्थान से उतरकर १०० वें स्थान पर आ गया है।