बिजली कर्मचारियों का हड़ताल तय: नहीं हुआ निदान

जबलपुर। बिजली कंपनियों में 2 सितम्बर से होने वाली हड़ताल तकरीबन फाइनल हो गई है। दिन में सम्मेलन में अधिकारियों-कर्मचारियों में गजब का रुझान दिखाई पड़ा। कर्मचारी नेता भी खुलकर बोले कि अब और इंतजार नहीं किया जाएगा। इधर शाम को प्रबंधन ने यूनाइटेड फोरम को वार्ता के लिये बुलाया, लेकिन बात नहीं बन पाई। दो मांगों पर कंपनी सहमत, बाकी का निर्णय भोपाल में जिस वक्त दमोहनाका में कर्मचारियों का सम्मेलन चल रहा था, उसी वक्त कंपनी प्रबंधन की ओर से वार्ता के लिये बुलावा आ गया।

शाम की टाइमिंग तय हुई। ठीक 7 बजे फोरम के चुनिंदा पदाधिकारी और बिजली कंपनियों के एमडी एक टेबल पर आए। शक्ति भवन मुख्यालय में हर एक मांग पर चर्चा की गई। प्रबंधन का कहना रहा कि 11 सूत्रीय मांगों में से सिर्फ दो ही एेसी हैं जिन पर सकारात्मक सहमति बन सकती है, लेकिन बाकी के मुद्दे शासन स्तर पर ही सुलझाए जा सकते हैं। इधर कर्मचारी नेताओं ने अपनी तरफ से एक-एक पहलू को बेहद गंभीरता के साथ सामने रखा। आखिर में प्रबंधन का रुख स्पष्ट होने के बाद तय किया गया कि आने वाले दिनों में भोपाल से कोई सकारात्मक पहल होती है तो ठीक, वरना हड़ताल तय है।

मांगें पूरी नहीं तो हड़ताल पक्की
कंपनी प्रबंधन सिर्फ दो मांगों पर ही राहत देने को तैयार है, जबकि बाकी मसलों का हल भोपाल से संभव होने की बात कही गई है। शासन स्तर पर कोई पहल होती है तो ठीक, वरना हड़ताल तो तय है।
व्हीकेएस परिहार संयोजक, यूनाइटेड फोरम

शासन स्तर पर ही संभव
यूनाइटेड फोरम के सदस्यों से चर्चा बेहद सकारात्मक रही। सभी 11 मुद्दों पर काफी बारीकियों से विचार-विमर्श किया गया। ज्यादातर विषय शासन स्तर पर ही सुलझाए जा सकते हैं, लेकिन इतना जरूर है कि चर्चा से एक अच्छी पहल हुई।
संजय शुक्ल एमडी, मप्र पाॅवर मैनेजमेंट कंपनी

प्रदेश भर से लगा जमघट
प्रदेश भर से आए बिजली अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक स्वर में कहा है कि अब अपने अधिकारोें के लिये और इंतजार नहीं किया जाएगा। हड़ताल पर जाने के लिये शासन और बिजली कंपनियां मजबूर कर रही हैं। बहरहाल, सभी कर्मचारी इस मत में शामिल रहे कि मांगों को मंजूर होने तक काम बंद कर दिया जाए। इसके साथ मंच से ही घोषणा कर दी गई कि 2 सितम्बर से कामकाज पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। दमोहनाका स्थित एमजीएम पैलेस में दम्हर 12 बजे से शुरू हुए इस सम्मेलन को लेकर कर्मचारी संगठन के हर एक जिले से प्रतिनधि पहुंचे। प्रदेश और मुख्यालय के पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी बात रखी। पदाधिकारियों का कहना था कि अब तक शासन और बिजली कंपनियों की ओर से ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैे जिससे कि हड़ताल के बगैर मांगों के पूरा होने की उम्मीद की जाए। सम्मेलन में व्हीकेएस परिहार, जीके वैष्णव, मनोज त्रिपाठी, केके पैगवार, अशोक हरणे, सुनील कुरेले, मुकेश जैन, एमएल शाक्या ने अपने विचार व्यक्त किए।

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