ग्वालियर। अंग्रेजों के जाने के बाद आजाद हुई रियासतों में ग्वालियर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। यह उस समय की बड़ी एवं शक्तिशाली रियासत थी और सुविधासम्पन्न भी। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो पूरा देश तिरंगे के नीचे आ गया परंतु सिंधिया ने इसे स्वीकार नहीं किया। बात दिल्ली तक पहुंची और दिल्ली ने भी सिंधिया की बात को मान लिया। सिंधिया ने आजादी का पहला जश्न तिरंगे के नीचे नहीं बल्कि सिंधिया ध्वज के तले मनाया।
कांग्रेसी विवाद के कारण नहीं मना जश्म
14-15 अगस्त 1947 की दहलीज पर जब अंग्रेजों ने भारत की बागडोर औपचारिक तौर पर भारत की जनता के सुपुर्द की, तो 15 अगस्त की सुबह से सारे देश में तिरंगा फहरा कर जश्न मनाया गया। आजादी मिलने की खुशी ग्वालियर में भी उमड़ रही थी। जश्न मनाने की सारी तैयारियां थीं। जश्न घर-घर में मनाया भी गया, लेकिन सांविधानिक विवाद के चलते तिरंगा नहीं फहराया जा सका। दरअसल उस वक्त रियासतों के विलय की औपचारिकता पूरी नहीं हुई थी। अंग्रेजों के जमाने में ही कांग्रेस के लीलाधर जोशी को प्रांत का मुख्यमंत्री और जीवाजी राव सिंधिया को राज प्रमुख बनाया गया था।
तत्कालीन महाराजा और राज प्रमुख का मानना था कि जब तक देश का संविधान सामने नहीं आता और रियासतों का स्वरूप स्पष्ट नहीं होता तब तक रियासत में सिंधिया राजवंश के स्थापित प्रशासन को ही माना जाएगा। इस तरह सिंधिया रियासत का ध्वज ही आजादी पर फहराया जाना चाहिए। लेकिन कांग्रेसी ये मानने को तैयार नहीं थे, वो तिरंगा फहरा कर ही आजादी का समारोह मनाना चाहते थे। लिहाजा 15 अगस्त के दिन निजी तौर पर तो ग्वालियर की जनता ने आजादी का जश्न मनाया, लेकिन न तिरंगा फहराया जा सका, न सिंधिया राजवंश का ध्वज।
25 अगस्त को मना जश्न
विवाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल तक जा पहुंचा। सरदार पटेल ने विवाद को टालने के लिए दोनों पक्षों को अपने तरीके से स्वतंत्रता दिवस मनाने की स्वीकृति दे दी। इसके लिए तारीख तय की गई 25 अगस्त, इस दिन शहर में दो जगह स्वतंत्रता दिवस का समारोह आयोजित किया गया। पहला समारोह राज प्रमुख महाराजा जीवाजी राव सिंधिया की अध्यक्षता में नौलखा परेड ग्राउंड में मनाया गया। इस समारोह में महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने सिंधिया राजध्वज फहराया। रियासत की अधिकांश जनता इस समारोह में मौजूद रही। दूसरा समारोह किलागेट मैदान पर आयोजित हुआ, यहां तत्कालीन मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी ने तिरंगा फहराया। इस समारोह में पूरी रियासत के कांग्रेसी मौजूद रहे।