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जनता को बहुत महंगा पड़ा है संसद का न चलना

राकेश दुबे@प्रतिदिन। क्या आप ये जानते है, संसद के प्रतिदिन बैठक का व्यय 7.5 करोड़ रुपए होता है। आम तौर पर लोकसभा प्रति दिन 6 घंटे तथा राज्यसभा 5 घंटे की बैठकें होती हैं। इस प्रकार लोकसभा सत्र प्रति घंटा लगभग 1.50 करोड़ रुपए तथा राज्यसभा बैठक की प्रति घंटा 1.1 करोड़ रुपए लागत आती है। संसद में हंगामे के कारण कामकाज न हो पाने से करदाताओं की मेहनत की कमाई से वसूली राशि बरबाद होना चिन्ता का विषय है। सत्तारूढ़ दल एवं विरोधी दल सभी इस अपव्यय पर चिंता तो जाहिर करते हैं किन्तु इसके लिए वे एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं और हंगामा भी करते हैं। माल ए मुफ्त दिल ए बेरहम।

संसद ने इस मानसून सत्र से अधिक हंगामे एवं कामकाज का नुकसान 2013 में हुआ |तब  डॉ. मनमोहनसिंह के प्रधानमंत्रीत्व में यूपीए-2 सरकार सत्तारूढ़ थी। 2012 में भी मानसून सत्र में भाजपा के नेतृत्व में राजग द्वारा कोयला व अन्य घोटालों के लिए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह से त्यागपत्र की मांग करते हुए हंगामे द्वारा व्यवधान उपस्थित किया गया था।

उस समय संसदीय मामलों के तत्कालीन मंत्री पवन कुमार बंसल द्वारा कहा गया था कि विरोधी दलों के हंगामे एवं व्यवधान के कारण लोकसभा का 77 प्रतिशत तथा राज्यसभा का 72 प्रतिशत समय बरबाद हुआ है। संसद सत्र में खजाने से प्रति मिनट 2.5 लाख रुपए व्यय होते हैं। उस समय लोकसभा में विरोधी दल की नेता सुषमा स्वराज ने हंगामे, व्यवधान एवं लोकसभा न चलने देने के कृत्य को सही ठहराते हुए कहा था कि यह सब विरोध का संसदीय तरीका है।

कांग्रेस पार्टी के अनुसार पिछली लोकसभा के 500 कामकाज के दिवस में भाजपा द्वारा हंगामा द्वारा व्यवधान पैदा करने के कारण 180 दिन कामकाज नहीं हो पाया। इस प्रकार भारतीय करदाताओं से सरकारी खजाने में एकत्र किए गए 1080 करोड़ रुपए बरबाद हुए। इस प्रकार संसद का कामकाज न हो पाने से पांच साल में 1080 करोड़ रुपए बरबाद होना इसका आर्थिक पहलू है।

इसका दूसरा पहलू पहली नजर में तो राजनैतिक है किन्तु उसका सरकारी खजाने में कई गुना वृद्धि के रूप में उसका आर्थिक महत्व अधिक है। राज्यसभा में भाजपा के नेता अरुण जेटली के अनुसार, भले ही संसद का समय हंगामे की भेंट चढ़ा हो किन्तु भाजपा के उसी हंगामे का परिणाम कैग रिपोर्ट के सन्दर्भ में 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच, कोयला ब्लॉक आदि प्राकृतिक संसाधनों के बंदरबांट आबंटन का निरस्तीकरण संभव हो पाया। वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार, 25 अप्रैल 2015 तक 67 कोल ब्लॉक की दुबारा नीलामी से केन्द्र सरकार को 335 हजार करोड़ रुपए प्राप्त हुए, जिसका एक हिस्सा 7 राज्य सरकारों को रायल्टी के रूप में दिया गया। अभी 125 कोल ब्लॉक की नीलामी होना बाकी है।  सरकार को 2जी व 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी से 110  हजार करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। इस प्रकार भाजपा के 180 दिन संसद का कामकाज ठप्प होने से 1080 करोड़ रुपए का नकुसान हुआ। 

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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