भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने ग्रीन टिब्यूनल द्वारा प्रदेश में रेत उत्खनन और परिवहन पर लगाई गई रोक के बावजूद किये जा रहे अवैध उत्खनन, विशाल भंडारण एवं परिवहन के धड़ल्ले से जारी खेल पर राज्य सरकार और खनिज मंत्रालय को घेरते हुए पूछा है कि यह पूरा खेल किसके संरक्षण में चल रहा है और इसे संचालित करने वाले कौन हैं?
आज यहां जारी अपने बयान में मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में इन दिनों खदानों से रेत निकालकर महाराष्ट्र की खदानों के नाम से रेत की निकासी की जा रही है। कांग्रेस पार्टी ने गत् दिनों कलेक्टर सीहोर से जानना चाहा था कि इछावर-नसरूल्लागंज मार्ग पर लगभग 50 हजार डम्परों से लाई गई रेत के विशालकाय पहाड़ बने हुए हैं, इस रेत भण्डारण करने वाले कौन है?
अभी तक प्रशासन की और से कोई भी संतोषप्रद उत्तर सार्वजनिक नहीं हुआ है, उसके बावजूद इछावर-नसरूल्लागंज और नेमावर मार्ग पर बिना रायल्टी चुकाये हुए हजारों डम्पर नंबर प्लेट/बिना नंबर प्लेट के रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन धड़ल्ले से कर रहे हैं और राज्य शासन व खनिज मंत्रालय से संबद्ध अधिकारी इस सब माजरे को देखने के लिए क्यों और किसलिए मजबूर हैं?
मिश्रा ने कहा कि इन मार्गों पर जो अवैध परिवहन किया जा रहा है, उसमें लगे वाहनों पर ‘‘चौहान शब्द’’ भी स्पष्ट लिखा हुआ दिखाई दे रहा है। इस अवैध परिवहन को करने वालों में जो नाम सामने आ रहे हैं, उनमें एसएस चौहान, तुकाराम चौहान, बबलू चौहान और एपीएस चौहान (पटेल) कौन हैं और किसके रिश्तेदार हैं, सार्वजनिक होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि रेत माफियाओं का एक संगठित गिरोह प्रदेश में राजनैतिक संरक्षण की वजह से रेत के दाम दोगुनी कीमत पर वसूल रहा है। 30 से 32 रूपये क्यूबीक फीट रेत आज 60 और 62 रूपये फीट पर बेची जा रही है, पूर्व में 700 क्यूबीक फीट रेत से भरा जो ट्रक उपभोक्ताओं को 15 हजार रूपये में मिलता था, वह अब औसत 42 हजार रूपये में मिल रहा है, जबकि इस अवैध व्यावसाय में लगे हुए लोगों की जेब से 3 हजार रूपये का डीजल और 2 हजार रूपये का गाड़ी भरवाने का खर्च ही हो रहा है।